लॉकडाउन मेंं मजबूत रिश्तों की डोर, महिलाओं के अच्छे सहयोगी साबित हुए पुरुष

लॉकडाउन में पति-पत्नी के बीच की रिश्तों की डोर और मजबूत साबित हुई। इस दौरान लगभग 72 फीसद परिवारों में पुरुषों ने घरेलू कार्यों में हाथ बंटाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 09:48 AM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 09:48 AM (IST)
लॉकडाउन मेंं मजबूत रिश्तों की डोर, महिलाओं के अच्छे सहयोगी साबित हुए पुरुष
लॉकडाउन मेंं मजबूत रिश्तों की डोर, महिलाओं के अच्छे सहयोगी साबित हुए पुरुष

लुधियाना [आशा मेहता]। लॉकडाउन के दौरान बहुत कुछ बदला है। इस दौरान कुछ अच्छी बातें भी हुईं। मसलन, घरों में पुरुषों ने घरेलू कार्यों में महिलाओं का हाथ बंटाया और उनके अच्छे सहयोगी के रूप में सामने आए। ऐसे ही कई तथ्य पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा देशभर में कराए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में सामने आए हैं।

सर्वे के अनुसार कोविड-19 के कारण पहले तीन चरणों में हुए लॉकडाउन का परिवार व उसके सदस्यों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। विश्वविद्यालय के वस्त्र विज्ञान विभाग की डॉ. सुरभि महाजन ने परिवारों पर लॉकडाउन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को लेकर 750 लोगों से प्रश्न पूछे। सर्वेक्षण में ऑनलाइन प्रश्नावली (गूगल फार्म) के जरिये प्रतिक्रियाएं ली गईं। इसमें परिवारों के युवा सदस्य, माता-पिता, दादा-दादी सभी शामिल हुए।

पुरुषों की भूमिका में बदलाव

सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान 72 फीसद परिवारों में पुरुषों की भूमिका में जबरदस्त बदलाव आया और उन्होंने परिवार की महिलाओं का घरेलू कार्यों में हाथ बंटाना शुरू किया। वस्तुत: 79 प्रतिशत परिवारों ने महिलाओं पर पड़ने वाले घरेलू कामकाज के अत्यधिक बोझ को कम करने के लिए आपस में कार्यों का विभाजन कर लिया। 71 फीसद परिवारों को लॉकडाउन अवधि में जिस एक अन्य समस्या का सामना करना पड़ा, वह नौकरानी, नौकरों एवं घरेलू सहायकों की उपलब्धता न होने के कारण घर का सभी कामकाज अपने आप करने की थी।

साथ होने की खुशी

85 प्रतिशत परिवारों ने इस बात पर खुशी जाहिर की है कि लॉकडाउन की अवधि में उन्हें परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने का अवसर मिला। 80 प्रतिशत परिवारों ने यह सुखद अनुभव महसूस किया कि लॉकडाउन अवधि ने एक-साथ रहने और बाहर न जाने के कारण सदस्यों के बीच प्यार के बंधनों को अधिक मजबूत किया है।

36 फीसद के अनुभव कटु

सर्वेक्षण में केवल 36 फीसद लोगों ने ही लॉकडाउन की अवधि में घरेलू हिंसा की घटनाओं में वृद्धि होने की बात कही। 35 फीसद लोग ऐसी घटनाओं से असहमत थे, जबकि 29 फीसद ने घरेलू हिंसा पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से मना किया।

वित्तीय बोझ से परेशानी

लॉकडाउन के दौरान 85 फीसद परिवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोई काम न होने के कारण परिवार की आय में कमी से पडऩे वाला वित्तीय बोझ था। यह उस व्यापारी वर्ग के परिवारों पर अधिक पड़ा, जिन्होंने इस अवधि में दुकानें, उद्योगों व संस्थानों के बंद होने के कारण कुछ नहीं कमाया था।

इन्होंने हिस्सा लिया

सर्वेक्षण में उत्तर देने वालों में 58.9 फीसद परिवार एकल, 31.2 फीसद संयुक्त और शेष 9.9 प्रतिशत एकल माता-पिता वाले थे। पारिवारिक आय की दृष्टि से अधिकांश (43.6 फीसद) मध्यम आय वर्ग (50,000 से 1,50,000 रुपये मासिक आय), एक चौथाई के लगभग (26.2 फीसद) उच्च आय वर्ग (1,500,000 रुपये से अधिक मासिक आय) और शेष (30.2 फीसद ) निम्न आय वर्ग (50,000 रुपयों से कम मासिक आय) वाले थे।

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