चतुश्लोकी भागवत में परामत्मा व आत्मा का सार : उद्धव जी

मंदिर देवी दवाला में आयोजित श्रीमद भागवत महायज्ञ के तीसरे दिन राजा परीक्षित द्वारा शुकदेव जी से सात दिन के अल्पकाल में मुक्ति का मार्ग पूछने पर शुकदेव जी द्वारा श्रीमद भागवत कथा श्रवण का मार्ग बताया गया जोकि मुक्ति प्रदान करता है। व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए श्री उद्वव जी ने बताया कि मुक्ति दो प्रकार की होती है कर्म मुक्ति एवं सहत मुक्ति।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 19 Mar 2020 06:30 AM (IST) Updated:Thu, 19 Mar 2020 06:30 AM (IST)
चतुश्लोकी भागवत में परामत्मा व आत्मा का सार : उद्धव जी
चतुश्लोकी भागवत में परामत्मा व आत्मा का सार : उद्धव जी

जासं, खन्ना :

मंदिर देवी दवाला में आयोजित श्रीमद् भागवत महायज्ञ के तीसरे दिन राजा परीक्षित द्वारा शुकदेव जी से सात दिन के अल्पकाल में मुक्ति का मार्ग पूछने पर शुकदेव जी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का मार्ग बताया गया जोकि मुक्ति प्रदान करता है। व्यास पीठ से प्रवचन करते हुए श्री उद्धव ने बताया कि मुक्ति दो प्रकार की होती है, कर्म मुक्ति एवं सहत मुक्ति।

इसके बाद श्री नारायण द्वारा ब्रह्मा जी को सृष्टि रचना की शक्ति प्रदान हेतु चतुश्लोकी भागवत का उपदेश सुनाया गया जिसमें सच्चिदानंद ने अपनी व्याप्ता, सृष्टि रहस्य व जीवात्मा के बारे में बताया। यही चतुश्लोकी भागवत आगे ब्रह्मा जी ने सनतकुमारों, सनतकुमारों ने नारद, नारद जी ने व्यास जी एवं व्यास जी ने आगे 18000 श्लोकों में शुकदेव जी को सुनाई, कथा के आगे बढ़ने के साथ ही जिसका श्रवण राजा परिक्षित को करना है।

ध्यान की विधि बताते हुए हरिद्वार में विदुर व मैत्रेय ऋषि संवाद, कपिल मुनि एवं उनकी माता देवहुति का प्रसंग, गंगासागर तीर्थ की महिमा के बारे में बताया गया, जिनमें सुख व दुख की भी परिभाषाएं सम्मिलित हैं। इसके बाद भक्तों की तीन श्रेणियां बताई गई जिनमें सतोगुणी जोकि प्रभु से कुछ न मांगे, रजोगुणी जो कि प्रभु से कुछ कामना करे एवं तीसरा तमोगुणी जोकि अपने लिए चाहे कुछ न मांगे लेकिन दूसरे का अमंगल चाहे। कथावाचक उद्धव जी ने भगवान शंकर का सुंदर चरित्र एवं अदभुत वेष की महिमा बताई।

बालक ध्रुव द्वारा नारायण से वर मांगने के अवसर पर अति मनमोहक भजन - मेरे सिर पर रख दो अपने ये दोनों हाथ, देना है तो दीजिए जन्म जन्म का साथ-प्रस्तुत किया गया। वीरवार को वामन अवतार सहित दस अवतार, श्री राम जन्म एवं श्रीकृष्णोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। जिसकी तैयारी के लिए भक्तों को भजन के द्वारा वृंदावन ले जाया गया-जरा चल के वृंदावन देखो श्याम बंसी बजाते मिलेंगे, झूला झूल रही होगी राधा रानी श्याम झूला झूलाते मिलेंगे। इसके बाद जगदीश्वर की आरती की गई एवं मिठाई का प्रसाद बांटा गया। सुबह की पूजा आशा देवी मुंडे एवं सविता सूद द्वारा करवाई गई।

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