ज्वेलर्स का रामविलास पासवान को पत्र, हॉलमार्क कानून को Trader Friendly बनाने के लिए दिए सुझाव Ludhiana News

हॉलमार्क से ग्राहकों को फायदा होगा और उनको तय मानकों के अनुसार ही सोने की ज्वेलरी मिलेगी लेकिन ज्वेलर्स का तर्क है कि हॉलमार्क कानून को ट्रेडर फ्रेंडली बनाया जाए।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 09:07 AM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 09:07 AM (IST)
ज्वेलर्स का रामविलास पासवान को पत्र, हॉलमार्क कानून को Trader Friendly बनाने के लिए दिए सुझाव Ludhiana News
ज्वेलर्स का रामविलास पासवान को पत्र, हॉलमार्क कानून को Trader Friendly बनाने के लिए दिए सुझाव Ludhiana News

लुधियाना [राजीव शर्मा]। केंद्र सरकार देश में सोने की ज्वेलरी पर 15 जनवरी से शुद्धता मानक हॉलमार्क अनिवार्य कर रही है। हालांकि हॉलमार्क से ग्राहकों को फायदा होगा और उनको तय मानकों के अनुसार ही सोने की ज्वेलरी मिलेगी, लेकिन ज्वेलर्स का तर्क है कि हॉलमार्क कानून को ट्रेडर फ्रेंडली बनाया जाए। साथ ही हॉलमार्क के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए।

शहरों एवं गांवों में हॉलमार्क के लिए नए सेंटर खोले जाएं। सेंटर खोलने के लिए सब्सिडी मुहैया कराई जाए ताकि शुद्धता सर्टिफिकेट लेने में कोई दिक्कत न आए। इस संबंध में ज्वेलर्स के संगठन ने केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर सुझाव भी दिए हैं। साथ ही जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री से कई दौर की बातचीत की है।

दरसअल, बीआइएस एक्ट के तहत देश में सिर्फ 22, 18 एवं 14 कैरेट ज्वेलरी की बिक्री को ही इजाजत दी गई है जबकि पंजाब में लोग 23 कैरेट सोने की ज्वेलरी ज्यादा खरीदना पसंद करते हैं। मध्य प्रदेश में ज्यादातर 20 कैरेट के आभूषणों का चलन है। ऐसे में इसे लचीला बनाने की जरूरत है। सोने पर अभी साढ़े 12 फीसद आयात शुल्क एवं तीन फीसद जीएसटी है। ऐसे में सोने की तस्करी हो रही है। तस्करी के जरिए आ रहे सामान पर हॉलमार्क करना संभव नहीं होगा। इसके लिए सोने पर ड्यूटी एवं जीएसटी कम करके उसे विश्व स्तर के बराबर लाना होगा।

कारोबारी बोले, हॉलमार्क सेंटर शुरू करना बस की बात नहीं

कारोबारियों के अनुसार 80 फीसद से अधिक हॉलमार्क सेंटर दिल्ली एवं मुंबई में हैं। भारतीय रिजर्व बैंक एवं नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सोने की ज्वेलरी की 60 फीसद बिक्री गांवों में है, जबकि गांवों या कस्बों में हॉलमार्क सेंटर बनाए ही नहीं हैं। इसके अलावा एक हॉलमार्क सेंटर शुरू करने में एक से सवा करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। यह आम कारोबारी के बस की बात नहीं है, क्योंकि इसमें ज्यादा मार्जेन नहीं है। ऐसे में कारोबारियों का तर्क है कि सरकार इस पर सब्सिडी मुहैया कराए।

जिले में केवल दो हालमार्किंग सेंटर: आनंद प्रकाश

लुधियाना ज्वेलर्स एसोसिएशन के प्रधान आनंद प्रकाश सीकरी का कहना है कि हॉलमार्क कानून को सरल एवं पारदर्शी बनाना अनिवार्य है। इसके लिए सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं। जिले में केवल दो हालमार्किंग सेंटर हैं। तमाम ज्वेलरी की हालमार्किंग वक्त पर करना इनके लिए संभव नहीं है। ऐसे में और सेंटर बनाने की काफी जरूरत है। खासकर कस्बों में भी सेंटर बनाने होंगे। इसके लिए सरकार को दरियादिली दिखानी होगी।  

सोने की शुद्धता कम हो तो ज्वेलर न हों जिम्मेदार: मनोज ढांडा

एसोसिएशन के महासचिव मनोज ढांडा का तर्क है कि हॉलमार्क के लिए 20 एवं 24 कैरेट को भी शामिल किया जाए। यह उपभोक्ता की जरूरत है। दूसरे यदि एक हॉलमार्क सेंटर पर शुद्धता को परखा जाता है और बाद में वह कम निकलती है, इसके लिए कानून में ज्वेलर जिम्मेदार है, जबकि यह जिम्मेदारी सेंटर की होनी चाहिए, क्योंकि सर्टिफिकेट सेंटर जारी करता है। इसके अलावा एक सेंटर में टेस्ट हुए सामान को दूसरे सेंटर में भी टेस्ट कराने की सुविधा हो। इसके साथ ही हॉलमार्क सेंटर उपभोक्ताओं को मुफ्त में टेङ्क्षस्टग की सुविधा दे, ताकि वे क्रास चैक कर सकें।

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