तीन गुणा ओवरचार्जिंग कर हरियाणा के कोरोना मरीज को थमाया 8.5 लाख का बिल, लुधियाना के निजी अस्पताल पर केस

सागर के पिता अश्वनी वर्मा कोविड पॉजिटिव थे। वे यमुनानगर से खन्ना के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल हुए थे। अस्पताल ने 14 मई को उन्हें 845062 रुपये का बिल थमा दिया। सागर ने इसकी शिकायत डीसी से की थी।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Mon, 24 May 2021 08:37 PM (IST) Updated:Tue, 25 May 2021 08:03 AM (IST)
तीन गुणा ओवरचार्जिंग कर हरियाणा के कोरोना मरीज को थमाया 8.5 लाख का बिल, लुधियाना के निजी अस्पताल पर केस
जैन अस्पताल पर 2.35 लाख के बजाय 8.5 लाख रुपये वसूलने का आरोप है। सांकेतिक फोटो

खन्ना (लुधियाना), जेएनएन। खन्ना के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की मैनेजमेंट के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। अस्पताल पर यमुनानगर (हरियाणा) के कोरोना मरीज के स्वजनों से साढ़े तीन गुणा से अधिक ओवरचार्जिंग का आरोप है। इतना ज्यादा बिल आने से मरीज ने अस्पताल से छुट्टी करवा ली। फिर, कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। महामारी से जान गंवाने वाले अश्वनी वर्मा के बेटे सागर वर्मा की शिकायत पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सागर की शिकायत के बाद डीसी वरिंदर शर्मा की बनाई एक कमेटी ने जांच रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन को आरोपित माना था।

कमेटी में एडीसी (विकास) के अलावा डिप्टी डायरेक्टर सेहत विभाग डॉ. हतिंदर कौर और सहायक सिविल सर्जन डॉ. विवेक कटारिया शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार शिकायतकर्ता सागर के पिता अश्वनी कोविड पॉजिटिव थे। वे 2 मई को यमुनानगर से खन्ना के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल हुए थे। अस्पताल ने 14 मई को उन्हें 8 लाख 45 हजार 62 रुपये का बिल थमा दिया। अपनी पत्नी के गहने बेच कर सागर ने 4 लाख 8 हजार 70 रुपये जमा करा दिया। अस्पताल ने बाकी रुपये मांगे तो उन्होंने कहा कि वे अब केवल 1 लाख रुपये ही और जमा करा सकते हैं जो उन्होंने अपने रिश्तेदार से उधार लिए हैं। 

अस्पताल ने बताया क्लेरिकल मिस्टेक, फिर भी फंसा 

जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया कि अस्पताल से जब 8 लाख 45 हजार 62 रूपए के बिल के बारे में पूछा गया तो उन्हें सफाई दी गई कि क्लेरिकल मिस्टेक के कारण ज्यादा बिल बन गया था। असल में बिल 4 लाख 86 हजार 10 रुपये है। हालांकि अपनी कलाकारी में भी अस्पताल प्रशासन भी फंस गया। 18 मई को दी गई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि 16 हजार 500 रूपए प्रति दिन वेंटीलेटर चार्जेस के अलाावा अन्य खर्च मिला दें तो मरीज को 2 लाख 35 हजार 450 रुपये का बिल दिया जाना चाहिए था। अगर बिल 8 लाख 56 हजार 62 रुपए का है तो मरीज को 3.58 गुणा मुनाफे का बिल चार्ज किया गया है। अगर बिल 4 लाख 86 हजार 10 रुपये का है तो भी 106 फीसद मुनाफा कमाया गया है जो कि गैरकानूनी है। इस तरह से कमेटी ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की। 

अस्पताल प्रबंधन अब कह रहा- समझौत हो गया 

जांच कमेटी को दिए अपने बयान में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. प्रवेश गर्ग ने कहा कि इलाज और दवाओं के खर्च संबंधी मरीज और उसके परिजनों को सारी जानकारी दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि गलतफहमी की चलते मरीज के परिजनों ने शिकायत कर दी लेकिन बाद में वे संतुष्ट हो गए थे। जब जांच कमेटी ने सागर वर्मा से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन हो गया है। उनकी शिकायत को ही उनका बयान समझा जाए। वे संतुष्ट नहीं हुए हैं।

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