लुधियाना की जिस इमारत में कभी दोषियों को सुनाई जाती थी सजा, आज वहीं है ज्ञान का खजाना

लुधियाना के फव्वारा चौक से लक्कड़ पुल की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों तरफ कचहरी हुआ करती थी। कचहरी की जिस इमारत में जज अपने फैसले सुनाया करते थे उसी इमारत में अब एक्सटेंशन लाइब्रेरी बनी हुई है।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 11:25 AM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2021 11:25 AM (IST)
लुधियाना की जिस इमारत में कभी दोषियों को सुनाई जाती थी सजा, आज वहीं है ज्ञान का खजाना
लुधियाना के फव्वारा चौक से लक्कड़ पुल की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों तरफ कचहरी हुआ करती थी।

लुधियाना, राजेश भट्ट। फव्वारा चौक से लक्कड़ पुल की तरफ जाने वाली सड़क के दोनों तरफ कचहरी हुआ करती थी। आजादी के बाद यहां पर कचहरी की इमारतें बनाई गई। लुधियाना की कचहरी की इन्हीं इमारतों में से एक इमारत ऐसी थी जिसमें जज कचहरी लगाकर दोषियों को सजा और निर्दोषों को बरी किया करते थे। जिस इमारत में जज अपने फैसले सुनाया करते थे, वही इमारत अब शहर के लिए ज्ञान का खजाना बनी हुई हैं। हम बात कर रहे हैं एक्सटेंशन लाइब्रेरी की।

एक्सटेंशन लाइब्रेरी की जो इमारत है वहां कभी कचहरी हुआ करती थी। 1959 में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सव्रे किया और लुधियाना में एक पंजाब यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन लाइब्रेरी बनाने का फैसला किया। पंजाब यूनिवर्सिटी ने 1960 में यहां एक्सटेंशन लाइब्रेरी खोल दी। उस समय लाइब्रेरी सिर्फ एक कमरे में हुआ करती थी और 1966 में लाइब्रेरी को नया रूप दिया गया और लाइब्रेरी की एक बड़ी इमारत बनाने का काम शुरू हुआ। दो साल में ही इस इमारत का काम पूरा हुआ और देश के तात्कालिक उपराष्ट्रपति ने 1968 में इस इमारत का उद्घाटन किया।

तब इस इमारत के निर्माण पर छह लाख रुपये खर्च हुए थे। देखते देखते एक कमरे वाली लाइब्रेरी बड़ी लाइब्रेरी में तब्दील हो गई। अब इस लाइब्रेरी में दो लाख के करीब किताबें हैं और 900 से ज्यादा किताबें ऐसी हैं जो कहीं दूसरी जगह उपलब्ध नहीं हैं। इस लाइब्रेरी में 1707 में टिलोस्टैन की लिखी किताब वर्क आफ दि डाक्टर जोन टिलोस्टैन, 1860 में लिखी रैडिंग साइरस की किताब हिस्ट्री एंड डिस्क्रिप्शन मार्डन वाइनस जैसी दुर्लभ किताबें भी हैं।

इस लाइब्रेरी का फायदा लेने के लिए कोई भी शहरवासी सदस्यता ले सकता है लेकिन उसे कुछ शर्तों का पालन करना होता है। एक हजार विद्यार्थियों के अलावा इस समय दो हजार आम लोग इस लाइब्रेरी से जुड़े हैं। यही नहीं अब तो इस लाइब्रेरी के कैंपस में पंजाब यूनिवर्सिटी ने अपना ला इंस्टीट्यूट भी खोल दिया है। इस इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों के लिए यह लाइब्रेरी बेहद लाभदायक है। संचालक बताते हैं कि यहां पर कानूनी की भी बहुत पुरानी किताबें पड़ी हैं। इतिहास की भी बेहद पुरानी किताबें इसमें हैं।

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