खाली कंटेनर के लिए एक माह की वेटिंग, निर्यातक परेशान

कोविड महामारी के दबाव से भारत एवं अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं बाहर आ रही हैं। नतीजतन विश्व में आर्थिकता का पहिया फिर से रफ्तार पकड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 02:46 AM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 02:46 AM (IST)
खाली कंटेनर के लिए एक माह की वेटिंग, निर्यातक परेशान
खाली कंटेनर के लिए एक माह की वेटिंग, निर्यातक परेशान

राजीव शर्मा, लुधियाना : कोविड महामारी के दबाव से भारत एवं अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं बाहर आ रही हैं। नतीजतन विश्व में आर्थिकता का पहिया फिर से रफ्तार पकड़ रहा है। निर्यातकों के पास बंपर आर्डर हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर दिक्कतें दूर न होने से उद्यमी इनका भरपूर लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। यही कारण है कि फरवरी का निर्यात पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 0.25 फीसद कम रहा। हालत यह है कि घरेलू स्तर पर कंटेनरों की जबरदस्त किल्लत है, खाली कंटेनरों का जुगाड़ करने में निर्यातकों के पसीने छूट रहे हैं। निर्यातकों को कंटेनर के लिए दस दिन से लेकर एक माह तक का इंतजार करना पड़ रहा है। इसी के चलते शिपिग कंपनियों ने समुद्री किराया (ओशन फ्रेट) में भी तीन से पांच गुणा तक इजाफा कर दिया है।

दरअसल, लुधियाना से हर माह औसतन दस हजार कंटेनर माल का निर्यात विश्व बाजार में होता है। निर्यातकों का दावा है कि यदि कंटेनरों की किल्लत न होती तो निर्यात में गिरावट के बजाय करीब पंद्रह फीसद की ग्रोथ आती। उद्यमियों ने सरकार से आग्रह किया है कि घरेलू स्तर पर कंटेनरों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ इसके उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जाए।

उद्यमियों का तर्क है कि चीन से विश्व के अन्य देशों को निर्यात में जबरदस्त उछाल आ रहा है। नतीजतन चीन में खाली कंटेनरों की जबरदस्त मांग है। चीन ने शिपिग कंपनियों को भारी भरकम प्रीमियम का भुगतान कर खाली कंटेनर अपने यहां मंगवा लिए हैं। ज्यादातर खाली कंटेनर चीन जा रहे हैं। इससे विश्व बाजार में खाली कंटेनरों की किल्लत हो रही है और भारत भी इससे अछूता नहीं है।

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आर्डर में कमी नहीं, भुगतान में दिक्कत

फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन (फियो) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन कहते हैं कि कंटेनरों की किल्लत को मैनेज करने में भारी दिक्कत आ रही है। निर्यातकों के पास माल बन कर एक माह तक पड़ा रहता है और कंटेनर नहीं मिल पाता। लुधियाना से हर माह दस हजार कंटेनर में माल निर्यात होता है। अभी सिर्फ ट्रेड को पांच से छह हजार कंटेनर ही मिल पा रहे हैं। शिपिग कंपनियों ने ओशन फ्रेट तीन से पांच गुणा तक बढ़ा दिए हैं। ऐसे में निर्यातक पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उद्यमियों के पास आर्डर की कमी नहीं है, भुगतान में दिक्कत आ रही है।

कंटेनर की किल्लत से निर्यात में ग्रोथ घटी

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीयल एंड कामर्शियल अंडरटेकिग्स (सीआइसीयू) की एक्सपोर्ट प्रोमोशन कमेटी के संयोजक राम लुभाया ने कहा कि कंटेनरों की दिक्कत के कारण ही निर्यात में ग्रोथ नहीं आ रही है। बाजार में कंटेनर की मांग के मुकाबले आपूर्ति काफी कम है। सरकार को इस तरफ तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

अधिकतर खाली कंटेनर गए चीन

कस्टम हाउस एजेंट्स एसोसिएशन के प्रधान राजेश वर्मा ने कहा कि ज्यादातर खाली कंटेनर चीन जाने से ही यहां पर उपलब्धता कम है। शिपिग लाइन्स को वहां पर मोटी रकम मिल रही है। इसलिए उनका भी फोकस चीन पर ही है।

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ओशन फ्रेट छह माह में इजाफा (डालर में)

देश पहले फ्रेट अब फ्रेट

जर्मनी 1200 4500

सिगापुर 300 1500

अमेरिका 1500 3800

इंग्लैंड 800 2500

यूरोप 800 2600

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