सरकार की विलय की नीति को बैंक मुलाजिमों ने नकारा

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज की वार्षिक आम बैठक रविवार को एक्सटेंशन लाइब्रेरी हाल में हुई।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Sep 2019 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 09 Sep 2019 06:35 AM (IST)
सरकार की विलय की नीति को बैंक मुलाजिमों ने नकारा
सरकार की विलय की नीति को बैंक मुलाजिमों ने नकारा

जासं, लुधियाना : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज यूनियन की वार्षिक आम बैठक रविवार को एक्सटेंशन लाइब्रेरी हाल में हुई। इसमें ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया इंप्लाइज यूनियन के चेयरमैन एसके गौतम मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे। उनके अलावा यूनियन के महासचिव नरेश गौड़, यादविदर गुप्ता एवं नरकेसर राय विशेष तौर पर मौजूद रहे। बैठक में बैंक मुलाजिमों की समस्याओं पर मंथन किया गया और बैंकों को लेकर सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की गई।

गौतम ने कहा कि 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। देश की अर्थव्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने में बैंकों ने अपनी भूमिका निभाई है। बावजूद इसके सरकार छह प्रमुख बैंकों का विलय कर रही है। ये छह बैंक इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, कारपोरेशन बैंक, सिडीकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स बेहतरीन कार्य कर रहे थे। इनका विलय सही संकेत नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है। ऐसे में बैंक अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए अहम रोल अदा कर सकते हैं। बैड लोन के चलते बैंक भी काफी दिक्कत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय से बैड लोन की रिकवरी भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा बैंकिग का बेस सिमट जाएगा। एसबीआइ के विलय के बाद इसकी सात हजार शाखाएं बंद कर दी गई हैं। साफ है कि विलय से रोजगार की संभावनाएं भी कम होंगी। इससे आम आदमी को बैंकिग सुविधाएं लेने में दिक्कत आएगी। कांफ्रेंस में मुलाजिमों ने एक सुर से बैंकों के विलय की नीति की जमकर आलोचना की। बैंकों में खाली पदों को भरने की वकालत

यूनियन के महासचिव नरेश गौड़ ने कहा कि बैंक स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। सरकारी नीतियों के कारण बैंकिग इंडस्ट्री की स्थिति बदतर हो रही है। यूनियन ने बैंक में खाली पदों को भरने की वकालत की। इस अवसर पर परवीन मौदगिल, सनमीत सिंह, राकेश बजाज, हरजीत सिंह, प्रकाश सिंह, अशोक मल्हन, जगननाथ समेत कई मुलाजिम मौजूद रहे।

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