करुणाशील मानव ही सदा दूसरे का रोना सुनता है: गुरु अचल मुनि

एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस की धर्म सभा में गुरु अचल मुनि ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को फरमाया कि कौन किसका रोना सुनता है। आज रोने वाला ज्यादा है और सुनने वाला कम है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 07:00 AM (IST)
करुणाशील मानव ही सदा दूसरे का रोना सुनता है: गुरु अचल मुनि
करुणाशील मानव ही सदा दूसरे का रोना सुनता है: गुरु अचल मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस की धर्म सभा में गुरु अचल मुनि ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को फरमाया कि कौन किसका रोना सुनता है। आज रोने वाला ज्यादा है और सुनने वाला कम है। सुनने में दुखी इंसान हो मानसिक राहत मिलती है। रोने की कला भी हर इंसान में नहीं होती। दुनिया में करुणाशील ही दूसरे का रोना सुनता है, जिसके दिल में करुण का भाव होता है, वो कभी दूसरे के आंखों में आंसू नहीं देख सकता। पत्थर दिल वाला निर्दयी इंसान कभी दूसरे को सुख नहीं दे सकता। दया ही धर्म का मूल है। अभिमानी किसी की नहीं सुनता, उसका सुख सदा ऊपर की ओर होता है। अहंकारी किसी की परवाह नहीं करता। अभिमानी दूसरों को कीड़े-मकोड़े की तरह समझता है। कृतज्ञ, चारित्रवान, सबके साथ सहानुभूति रखने वाला, ममता वाला, विनयवान, निस्वार्थ भाव वाला बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार में एक गुरु तो होना ही चाहिए, क्योंकि मां बाप सिर्फ जन्म देते हैं। जीवन तो गुरु से ही मिलता है। गुरु स्वयं शक्ति संपन्न होते हैं, मगर वे अपनी शक्ति पर अभिमान नहीं करते, बल्कि वे खुद भव सागर से तैरते हैं और शिष्यों को भी तैरना सिखाते हैं। गुरु के बिना जीवन अधूरा है। जीवन में एक गुरु जरूर होना चाहिए, फिर वह चाहे मिट्टी का द्रोणाचार्य क्यों न हो। गुरु क्या है? एक फैमिली डॉक्टर जो हमारे मन के रोगों का ईलाज करता है। किसी भी शिष्य के लिए गुरु का द्वार मंदिर, मस्जिद की चौखट से अधिक महत्वपूर्ण होता है। अतिशय मुनि ने कहा कि जीवन एक रेलवे स्टेशन की तरह होता है। जहां हजारों लोग है, लेकन हर कोई अंजान है। संसार का सम्मान झूठा है। समाज की निगाहें बदलने को वक्त नहीं लगता। लोग जिस मुख से प्रशंसा करते हैं, उसी मुख से निदा करते हैं। दुनिया पर बहुत ज्यादा भरोसा मत करना। वह कब किस ओर लुढ़क जाए, पता नहीं। गुरु जो रास्ता दिखा दे, बस उसी पर चलना।

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