होटल व्यवसायी ने साधु बनने के लिए एेसे किया गुमराह, जानें क्या है पूरा मामला

शिवेन होटल के मालिक डॉ. अशोक पसरीचा खुद को मृतक घोषित कर भेष बदलकर साधु बनने की तैयारी में थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें मथुरा से दबोच लिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 29 Dec 2018 03:19 PM (IST) Updated:Sun, 30 Dec 2018 09:19 PM (IST)
होटल व्यवसायी ने साधु बनने के लिए एेसे किया गुमराह, जानें क्या है पूरा मामला
होटल व्यवसायी ने साधु बनने के लिए एेसे किया गुमराह, जानें क्या है पूरा मामला

जेएनएन, कपूरथला। शिवेन होटल के मालिक डॉ. अशोक पसरीचा खुद को मृतक घोषित कर भेष बदलकर साधु बनने की तैयारी में थे। पुलिस को गुमराह करने के लिए ही उन्होंने सरहिंद नहर से चार किलोमीटर दूर अपनी गाड़ी खड़ी की। जहर की दो खाली शीशियां रखीं, ताकि लोग समझें कि जहर खाकर उन्होंने खुदकशी कर ली। डॉ. पसरीचा आराम से मथुरा के गोवर्धन आश्रम में साधु का भेष धारण कर जिंदगी व्यतीत करने की योजना बनाए हुए थे, लेकिन पुलिस ने डॉ. पसरीचा की तरफ से विभिन्न नंबरों से अपने घर किए फोन की कॉल डिटेल ट्रेस कर उन्हें मथुरा के गोवर्धन आश्रम से बरामद कर लिया।

थाना सिटी पुलिस के एसएचओ इंस्पेक्टर सुखपाल सिंह ने बताया कि जिन उद्योगपतियों, पैलिस मालिक व मोबाइल व्रिकेता का नाम डॉ. पसरीचा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था। सुसाइड नोट में इन लोगों पर लेन देन के मामले को लेकर परेशान करने का आरोप लगाया गया था। यदि डॉ. पसरीचा को पुलिस बरामद नहीं कर पाती तो मजबूरन पुलिस को उन सफैदपोश, जिनके नाम डॉ पसरीचा ने अपने सुसाइड नोट में लिखे थे, के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ती।

इस बारे में एसपीडी सतनाम सिंह ने कहा कि पुलिस ने डॉ. पसरीचा को बरामद कर पारिवारिक सदस्यों को सौंप दिया है। कुछ लोगों के नाम सुसाइड नोट में दिए थे, यदि वे शिकायत हमारे पास देते हैं तो उस अधार पर डॉ. पसरीचा के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बता दें, होटल शिवेन के मालिक 60 वर्षीय डॉ. पसरीचा सात दिसंबर की रात को नौ बजे अपने होटल से कार में सवार होकर कपूरथला के शेखूपुर स्थित आवास के लिए निकले थे, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे। देर रात तक पारिवारिक सदस्य उन्हें तलाशने में जुटे रहे। देर रात थाना सिटी की पुलिस को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई गई। इसके बाद पुलिस ने जांच पड़ताल का दौर शुरू किया। उनके लॉकर से पुलिस को एक नोट मिला, जिसमें कपूरथला के चार सफेदपोश व उद्योगपतियों के अलावा जालंधर के कुछ लोगों की ओर से दबाव बनाने का जिक्र था। इसमें लेन-देन को लेकर परेशान करने की बातें भी लिखी हुई थीं, जिसकी वजह से डॉ. पसरीचा डिप्रेशन के चलते कहीं लापता हो गए।

हालांकि पुलिस ने इस नोट में दर्ज लोगों को पूछताछ के लिए न बुलाकर पहले डॉ. पसरीचा को सही सलामत बरामद करने की तरफ कदम बढ़ाए। करीब 10-12 दिन पहले उनकी कार पुलिस ने सरहिंद नहर के 4 किलोमीटर पहले बरामद की। उसमें पुलिस को दो खाली जहर की शीशियां भी बामद हुईं।

सिटी पुलिस को उनके मथुरा में होने की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर पुलिस टीम पारिवारिक सदस्य को साथ लेकर उन्हें मथुरा से लेने के लिए निकली। सुबह उन्हें मथुरा के गोवर्धन आश्रम से बरामद कर लिया गया। डॉ. पसरीचा के रिश्तेदार साजन ग्रोवर ने बताया कि वह पहले भी गोवर्धन आश्रम जाते रहते थे, इसलिए उनके वहां होने की उम्मीद थी। जिसके बारे में पुलिस को भी बता दिया था।

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