जालंधर के एनआईटी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू, वक्ता बोले- इंडस्ट्री और अकादमियां मिलकर चलेंगी तभी बनेगा आत्मनिर्भर भारत

पहले दिन के मुख्य वक्ता आईआईएम अमृतसर के डा. नागाराजन रामामूर्ति ने कहा कि आत्मनिर्भरता आज के समय की जरूरत है और सबसे बड़ा चैलेंज भी।इसे पूरा करने के लिए इंडस्ट्री और अकादमिक तौर पर एकजुटता अनिवार्यता है।

By DeepikaEdited By: Publish:Wed, 25 May 2022 04:04 PM (IST) Updated:Wed, 25 May 2022 04:04 PM (IST)
जालंधर के एनआईटी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू, वक्ता बोले- इंडस्ट्री और अकादमियां मिलकर चलेंगी तभी बनेगा आत्मनिर्भर भारत
जालंधर के एनआईटी में राष्ट्रीय कांफ्रेंस में भाग लेते सदस्य। (जागरण)

जागरण संवाददाता, जालंधरः डा. बीआर अंबेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एनआईटी) में दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। जो आजादी के अमृत महोत्सव के संबंध में आत्मनिर्भर भारत बनने की संभावनाओं और उसे लेकर आने वाले चैलेंजेस विषय पर थी।

कांफ्रेंस का आगाज मुख्य वक्ता आईआईएम अमृतसर के डा. नागाराजन रामामूर्ति, स्पीकर आईआईएम जम्मू के डायरेक्टर डा. बीएस सहाय, सीआईआई के चेयरमैन अमित थापर, एनआईटी के डायरेक्टर बिनोद कन्नौजिया ने दीप जलाकर किया। डायरेक्टर बिनोद कन्नौजिया ने सभी वक्ताओं और अतिथियों का स्वागत प्लांटर देकर किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता का मिशन किसी एक व्यक्ति के कहने व करने से नहीं होगा, बल्कि उसके लिए प्रत्येक को अपनी सोच को बदल कर एक साथ चलना होगा। तभी हम आत्मनिर्भरता के मिशन को हासिल कर सकेंगे।

पहले दिन के मुख्य वक्ता आईआईएम अमृतसर के डा. नागाराजन रामामूर्ति ने कहा कि आत्मनिर्भरता आज के समय की जरूरत है और सबसे बड़ा चैलेंज भी। इसे पूरा करने के लिए इंडस्ट्री और अकादमिक तौर पर एकजुटता अनिवार्यता है। क्योंकि इंडस्ट्री को उनके ट्रेड के मुताबिक ट्रेंड व स्किल्स युक्त कर्मचारी नहीं मिल पा रहे हैं। जब अकादमिक तौर पर इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार स्किल्स दी जाएगी तो इसके बेहतर नतीजे भी आएंगे। यही नहीं नए-नए स्टार्टअप भी शुरू होंगे, जो आत्मनिर्भर भारत को मिशन को पूरा करने में सहायक होंगे। इसी तरह से स्पीकर एसके राय ने कहा कि आत्मनिर्भरता देश की इकोनामी, टेक्नोलाजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिमांड जैसे मूल्यों पर आधारित हैं।

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इन सभी पहलुओं को पूरा करके ही आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार किया जा सकता है। क्योंकि जब ट्रेंड विद्यार्थी इंडस्ट्री में जाएंगे तो अपने कौशल से निखार लाएंगे। इसके अलावा अमित थापर की तरफ से शिक्षा प्रणाली को बेहतर से बेहतर बनाने पर जोर दिया। यही नहीं दूसरे देशों और भारत में शिक्षा के लिए बजट पर भी चर्चा की। साथ ही उन्होंने विदेशों की तरफ रुख कर रहे विद्यार्थियों को रोकने के लिए देश के भीतर ही योजनाओं को लाने के लिए सवाल भी उठाए। डिपार्टमेंट आफ ह्यूमेनिटी एंड मैनेजमेंट की हेड डा. सोनिया चावला ने इस कांफ्रेंस का महत्व बताया और वक्ताओं का परिचय भी दिया।

इसके अलावा विभिन्न राज्यों के विद्वानों ने सम्मेलन के आवश्यक विषयों जैसे उद्यमिता, शिक्षा, प्रबंधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, और पर्यटन पर अपने रिसर्च पेपर भी पढ़े। पेपर पढ़ने वालों में डा. आरके गर्ग, समयवीर सिंह, डा. एसजीएस बेदी, डा. अनीश सचदेवा, डा. रोहित मेहरा, डा. रमन बेदी, डा. अमर सक्सेना, डा. जगविंदर सिंह, डा. हर्ष वर्मा, डा. कुलदीप कुमार, डा. अदित्या प्रकाश, डा. श्यामकिरन कौर आदि शामिल थे।

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