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जालंधर में सेहत कर्मचारियों का धरना खत्म, वित्त विभाग ने वेतन जारी करने के आदेश जारी किए

जालंधर में सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों का धरना खत्म हो गया है। वित्त विभाग ने बुधवार को सिविल सर्जन ऑफिस जालंधर के कर्मचारियों तथा अधिकारियों के वेतन जारी करने के लिए आदेश जारी कर दिए।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 02:59 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 02:59 PM (IST)
जालंधर में सेहत कर्मचारियों का धरना समाप्त हो गया है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में सिविल सर्जन कार्यालय में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को पिछले माह का वेतन न मिलने से संघर्ष बुधवार को खत्म हो गया। वित्त विभाग ने बुधवार को सिविल सर्जन ऑफिस जालंधर के कर्मचारियों तथा अधिकारियों के वेतन जारी करने के लिए आदेश जारी कर दिए। सूचना जा रही होने के बाद कर्मचारियों अधिकारियों ने हड़ताल वापस ले ली है। कर्मचारियों ने वेतन जारी न होने पर वीरवार और शुक्रवार को सामूहिक छुट्टी लेकर सिविल सर्जन सर्जन आफिस को ताला लगा कर डीसी आफिस में धरना लगाने की चेतावनी दी थी।

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प्रधान दिनेश कुमार, सुभाष मट्टू तथा अवतार सिंह ने बताया कि वित्त विभाग की ओर से नकोदर के डॉक्टर कमलजीत सिंह के मामले में विजिलेंस विभाग की ओर से चल रही जांच रिपोर्ट को पेंडिंग कर 30 सितंबर 2022 तक वेतन जारी करने के सेहत विभाग के आवेदन पर सहमति व्यक्त करने की मुहर लगा दी है। आदेश जारी होने के बाद कर्मचारियों का अधिकारियों के चेहरे पर रौनक लौट आई। उन्होंने संघर्ष में सहयोग करने वाले सभी कर्मचारियों व अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। सिविल सर्जन डॉ रंजीत सिंह ने कहा कि वेतन का बिल तैयार कर खजाने को भेज दिया गया है देर शाम तक सभी के बैंक खाते में वेतन पहुंच जाएगा।

नकोदर में रहने वाले एक डाक्टर को हाईकोर्ट के आदेशों के बाद करीब 86.43 लाख रूपये की अदायगी के बाद सेहत विभाग ने मुलाजिमों के वेतन पर रोक लगाने के बाद कर्मचारी पिछले 15 दिन से रोष प्रदर्शन कर रहे थे। नकोदर में रहने वाले डाक्टर ने सेहत विभाग से ड्यूटी पर गैरहाजिर रहने के मामले में केस जीतने बाद करीब दो साल पहले पैसों की अदायगी का केस भी जीता था। इस मामले में अदालत ने सिविल सर्जन आफिस की नीलामी के आदेश जारी किए थे। मामले को गंभीरता से लेकर उक्त डाक्टर को करीब 86.43 लाख रूपये की अदायगी करने के बाद विभाग के सचिव ने उक्त में विभाग की ओर से पैरवी करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व स्टाफ के सदस्यों के नाम मांगे थे।


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