स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के हाथ से फिसला बल्ले का हैंडल

महानगर में खेल का सामान बनाने वाले उत्पादकों के हाथ से क्रिकेट बैट का हैंडल ही फिसलता हुआ दिखाई दे रहा है। देश में केन (बैंत) की कीमतों में हुए इजाफे के चलते क्रिकेट बैट के हैंडल की कीमतों में डेढ़ से दो गुना तक का इजाफा हो गया है जिसका सीधा असर बैट की कीमतों पर पड़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 May 2022 07:11 PM (IST) Updated:Sun, 22 May 2022 07:11 PM (IST)
स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के हाथ से फिसला बल्ले का हैंडल
स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के हाथ से फिसला बल्ले का हैंडल

मनुपाल शर्मा, जालंधर

महानगर में खेल का सामान बनाने वाले उत्पादकों के हाथ से क्रिकेट बैट का हैंडल ही फिसलता हुआ दिखाई दे रहा है। देश में केन (बैंत) की कीमतों में हुए इजाफे के चलते क्रिकेट बैट के हैंडल की कीमतों में डेढ़ से दो गुना तक का इजाफा हो गया है, जिसका सीधा असर बैट की कीमतों पर पड़ा है। लाकडाउन के बाद भारी आर्थिक संकट से जूझ रही स्पो‌र्ट्स इंडस्ट्री के लिए बैट के हैंडल की कीमतों में हुआ इजाफा उनके व्यवसाय को एक झटका दे रहा है। जितना हैंडल की कीमतों में इजाफा हुआ है, उतना ही महंगा बैट भी हो गया है।

क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरिग में महानगर के उत्पादकों को जम्मू-कश्मीर से तगड़ा कंपटीशन मिल रहा है। वहां पर बनाए जाने वाले कश्मीर विलो के बैट देशभर में पसंद किए जाते हैं। जालंधर में तैयार होने वाले क्रिकेट बैट की कीमत में हुआ इजाफा मार्केट में बिक्री को रोक रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पहले महानगर कि खेल उत्पादकों को क्रिकेट बैट हैंडल 130 रुपये तक उपलब्ध हो जाता था लेकिन अब कीमत 215 से लेकर 250 रुपये तक जा पहुंची है। खेल उद्योग संघ संघर्ष समिति के कन्वीनर रविदर धीर ने कहा कि महानगर के छोटे खेल उत्पादकों के लिए यह बेहद आर्थिक तंगी का समय है। यह मात्र इस वजह से हो रहा है कि केन सिगापुर से आ रही है और केन इंपोर्ट करने वाले बड़े व्यापारिक समूह अपनी मनमर्जी से कीमत तय रहे हैं। उन्होंने कहा कि जालंधर में तैयार किए जाने वाले क्रिकेट बैट की बिक्री तो पहले ही कम हो चुकी है। ऊपर से अब हैंडल की कीमत बढ़ जाने से उत्पादकों को भारी धक्का लगा है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में केन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है लेकिन वहां से केन मंगवा पाने पर ही रोक लगी हुई है। उन्होंने कहा कि जालंधर में पहले स्टेट ट्रेडिग कारपोरेशन उत्पादकों को सस्ते भाव पर रा मटेरियल खरीद कर उपलब्ध कराती थी, लेकिन बीते डेढ़ दशक से कार्यालय ही बंद पड़ा हुआ है।

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