समाज में हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए छात्र ही प्रमुख माध्यम हैं: कोनार्ड टर्नर

जैंडर इक्विटी के लिए देश वर्ग समाज भाषा संस्कृति की भिन्नताओं से ऊपर उठकर पूरी दुनिया में बहुत कुछ किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 07:51 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 07:51 PM (IST)
समाज में हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए छात्र ही प्रमुख माध्यम हैं: कोनार्ड टर्नर
समाज में हर क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए छात्र ही प्रमुख माध्यम हैं: कोनार्ड टर्नर

जागरण संवाददाता, जालंधर

जैंडर इक्विटी के लिए देश, वर्ग, समाज, भाषा, संस्कृति की भिन्नताओं से ऊपर उठकर पूरी दुनिया में बहुत कुछ किया जा रहा है। अब इस दिशा में आगे बढ़ते समकालीन परिवेश की संगति में नई मान्यताओं, विचारों, नीतियों और लक्ष्यों को तय करना होगा। शिक्षण संस्थानों कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों प्रबंधकीय नीतियों के साथ टीचिग टूल्ज के चुनाव में भी इस दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। कुछ इस तरह नई दिल्ली के श्रीराम कॉलेज की भूतपूर्व प्रिसिपल डा. मीनाक्षी गोपीनाथ ने अपने विचार रखे। वह केएमवी में वूमैन इन सिक्योरिटी कनफ्लिक्ट मैनेजमैंट एंड पीस (विस्कांप) के सहयोग से 'जैंडर इक्विटी एंड इनक्लूजन ट्रांसफार्मेटिव पाथवेज इन हायर एजुकेशन' विषय पर तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस के पहले दिन संबोधित कर रही थीं। वे विस्कांप की डायरेक्टर भी हैं। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है सोच को बदलने की और सभी के साथ मिलकर चलने की। वर्कशाप का आगाज विशिष्ट अतिथियों यूएस अंबैसी कल्चरल अफेयर्स काउंसलर कोनर्ड टर्नर, आर्य शिक्षा मंडल के प्रधान चंद्रमोहन, विस्कॉम्प की डायरेक्टर डा. मीनाक्षी गोपीनाथ, केएमवी की प्रिसिपल डा. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने दीप जलाकर किया। प्रिसिपल प्रो. अतिमा शर्मा ने कहा कि 134 वर्षो के लंबे समय में संस्थान महिलाओं की शिक्षा के साथ-साथ उनकी सामाजिक स्थिति और भूमिका को नई पहचान देने की दिशा लंबा सफर तय किया है और आगे भी अहम भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। कोनार्ड टर्नर ने भारत और अमरीकी समाज की विभिन्नताओं के बावजूद स्वतंत्रता, समानता, न्याय और आर्थिक आत्मनिर्भरता को समाज के सभी वर्गो तक पहुंचाने की आवश्यकता की बात करने के साथ सामाजिक परिवर्तन, शिक्षा और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में प्रयास करने के लिए सभी से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में विद्यार्थी ही वे माध्यम हैं जो भविष्य में समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रमुख भूमिका निभाएंगे अत: उच्च शिक्षा संस्थाओं की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। इनके अलावा अमेरिकन यूनिवर्सिटी वाशिगटन डीसी की स्कॉलर इन रेसीडेंस डा. मैना चावला, स्कूल ऑफ लिबलर स्टडीज अंबेदकर यूनिवर्सिटी दिल्ली की प्रो. रुक्मणी सेन, प्रो. डेनिस पी लिगथन, रवीति मंडल, डा. रितु लेहल, डा. मोनिका शर्मा ने विचार और अनुभव सभी से सांझा किए।

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