इस बार दिवाली पर कम जले पटाखे.. लेकिन प्रदूषण का स्तर अब भी खतरनाक Jalandhar News

दीवाली पर शहरवासियों की ओर से जलाए गए पटाखों के कारण पॉल्यूशन लेवल तेजी से बढ़ा है।

By Edited By: Publish:Tue, 29 Oct 2019 01:46 AM (IST) Updated:Tue, 29 Oct 2019 05:24 PM (IST)
इस बार दिवाली पर कम जले पटाखे.. लेकिन प्रदूषण का स्तर अब भी खतरनाक Jalandhar News
इस बार दिवाली पर कम जले पटाखे.. लेकिन प्रदूषण का स्तर अब भी खतरनाक Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। दीवाली पर शहरवासियों की ओर से जलाए गए पटाखों के कारण पॉल्यूशन लेवल तेजी से बढ़ा है। दीवाली वाले दिन रविवार को दोपहर बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) जहां 144 था वह सोमवार सुबह तक बढ़कर अचानक 575 तक पहुंच गया। पीपीसीबी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो यह स्तर पिछले साल की अपेक्षा बेहद कम है लेकिन यह अब भी यह आम जनता के लिए बेहद घातक है। पिछले साल की अपेक्षा पॉल्यूशन का लेवल कम होने का एक कारण इस बार लोगों की ओर से कम पटाखे जलाना भी है। वहीं इस बार पॉल्यूशन का स्तर बढ़ने का एक एक कारण किसानों की ओर से अचानक दीवाली की रात को खेतों में पड़ी पराली को आग लगाना भी है।

बता दें कि पराली को आग लगाने से शहर में पॉल्यूशन लेवल 15 दिन से लाल निशान पर चल रहा था। दीवाली को लोगों की ओर से पटाखे चलाने के कारण इसका स्तर और बढ़ गया। हवा में पॉल्यूशन लेवल में बढ़ोतरी एक हफ्ते तक बनी रहने का अनुमान है। एक्यूआइ 200 से ज्यादा होता है खतरनाक एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से नीचे रहे तो इसे शरीर के लिए हानिकारक नहीं माना जाता। यह इससे ऊपर जाए तो सेहत के लिए हानिकारक होता है। 200 का आंकड़ा पार कर ले तो इसे इमरजेंसी जैसे हालात समझना चाहिए। जालंधर में एक्यूआइ 575 को छू गया। इस स्तर पर डॉक्टरों का सीधा सुझाव है कि लोग घर से बाहर न निकलें। यह दमा, एलर्जी के मरीजों के लिए खतरनाक है। आंखों में जलन की शिकायत भी हो सकती है। डॉक्टरों की सलाह है कि आम लोग भी तभी बाहर निकलें जब बेहद जरूरी हो। बाहर निकलते समय मुंह और नाक ढंक कर निकलें। आंखों में एयर टाइट चश्मा लगा कर निकलें ताकि नुकसान न पहुंचें।

पटाखों की धमक के साथ बढ़ता गया प्रदूषण

रविवार को जैसे-जैसे पटाखों का शोर बढ़ता गया वैसे ही साथ-साथ पॉल्यूशन लेवल भी बढ़ता गया। रविवार दोपहर तीन बजे एक्यूआइ लेवल144 था। नौ बजे यह 192 पहुंच गया लेकिन रात 10 सभी बैरियर तोड़ कर 340 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। रात को पटाखों का शोर कम हुआ तो पॉल्यूशन लेवल 304 तक आया लेकिन सुबह आठ बजे 423 और इसके तीन घंटे बाद 11 बजे सबसे अधिक 575 के स्तर पर पहुंच गया। अगले एक हफ्ते में इसके 200 के आसपास बने रहने का अनुमान है।

पर्टीकुलर मैटर सांस के साथ अंदर जा रहा

हवा में पर्टीकुलर मैटर लोगों की हेल्थ से जुड़ा है। पर्टीकुलर मैटर हवा में बढ़ने से विजिबिलटी भी कम होती है। अगर हवा में पीएम की मात्रा 35.4 से ज्यादा होती है तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो जाती है। पर्टीकुमलर मैटर बढ़ने का कारण पावर प्लांट्स, लकड़ी जलाने, एग्रीकल्चर वेस्ट को आग लगाने, धूल उड़ने और पटाखे होते हैं। इससे हार्ट प्राब्लम, फेफड़ों में इनफेक्शन का खतरा होता है। दमा के मरीजों को ज्यादा मुश्किल होती है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स

- 1 से 50 के बीच में अच्छा माना जाता है

- 51 से 100 के बीच में सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए ही नुकसानदायक।

- 101 से 150 से सेंसेटिव लोगों के लिए लंबे समय तक घर से बाहर रहना नुकसानदायक।

- 151 से 200 सेहत के लिए हानिकारक, खास कर बच्चे ज्यादा समय के लिए बाहर न रहें।

- 201 से 300 सेहत के लिए बेहद हानिकारक, सभी लोगों को ज्यादा नुकसान हो सकता है

- 300 से ज्यादा होने पर सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम का खतरा, घर से बाहर न निकलें।

फेफड़े का कैंसर होने का खतरा

छाती रोग माहिर डॉ. राजीव शर्मा का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से दिल का दौरा और फेफड़े का कैंसर हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में प्रदूषण का प्रभाव भ्रूण वृद्धि पर पड़ सकता है। उन्होंने लोगों को बाहर जाने से बचने की सलाह दी है। पराली को आग से फैले धुएं के प्रभाव से निजात पाने के लिए मास्क एन-95 या एन-99 का इस्तेमाल करना चाहिए। जहरीली हवा बच्चों के फेफड़े के विकास को प्रभावित कर सकती है। हवा में जहरीले कण फेफड़ों में सूजन पैदा कर अस्थमा, टीबी व एलर्जी के मरीजों की श्वास प्रणाली को बिगड़ देते हैं।

आंखों को मलना हो सकता है खतरनाक

आंखों की बीमारियों के माहिर डॉ. जेएस थिंद कहते हैं क पराली व दीवाली पर पटाखों के जहरीले धुएं आंखों में एलर्जी, लाली व खुजल की समस्या बढ़ जाती है। आंखें मलने जख्म हो सकते हैं जो नुकसानदायक साबित होते हैं। इस दौरान बाहर निकलने से गुरेज करना चाहिए। इन हालात में आंखों पर चश्मा डालना चाहिए और डाक्टर की सलाह के अनुसार आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

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