वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के खिलाफ याचिका दायर, हाईकोर्ट का पंजाब सरकार को नोटिस

अवैध इमारतों को रेगुलर करने की पंजाब सरकार की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी कानूनी शिकंजे में फंस सकती है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Fri, 05 Apr 2019 08:28 AM (IST) Updated:Fri, 05 Apr 2019 08:28 AM (IST)
वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के खिलाफ याचिका दायर, हाईकोर्ट का पंजाब सरकार को नोटिस
वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के खिलाफ याचिका दायर, हाईकोर्ट का पंजाब सरकार को नोटिस

जेएनएन, जालंधर : अवैध इमारतों को रेगुलर करने की पंजाब सरकार की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी कानूनी शिकंजे में फंस सकती है। काउंसिल ऑफ इंजीनियर्स के प्रधान कपिल देव ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। काउंसिल ने पॉलिसी को खारिज करने की मांग की है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार समेत अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी। इससे पहले पंजाब सरकार साल 2004 में भी पॉलिसी लाई थी। तब कहा गया था कि अवैध निर्माण पर रोक लगाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और शहर में अवैध निर्माण बढ़ते गए। 

अवैध निर्माण के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं की गई। काउंसिल ऑफ इंजीनियर्स ने भी यह शंकाएं जताई हैं। इनका कहना है कि अगर इसी तरह अवैध इमारतों को फीस लेकर रेगुलर करते रहेंगे तो अवैध निर्माण कभी रुक नहीं पाएगा। 

संस्था ने कहा है कि पॉलिसी से जरूरी है कि ऐसे नियम बनाएं, जिससे अवैध निर्माण न हो सके। इस समय शहर में रिहायशी इलाकों में कॉमर्शियल बिल्डिंग बन गई हैं, जहां कॉलोनियां डवलप हो रही हैं वहां पार्क नहीं रखे जा रहे। ऐसा ही चलता रहा तो हर शहर रहने के काबिल नहीं रहेगा। 

पॉलिसी को रिस्पांस नहीं

पंजाब सरकार की रेगुलराईजेशन व वन टाइम सेटलमेंट पालिसी को जनता से रिस्पांस नहीं मिला है। रेगुलराइजेशन पॉलिसी के तहत करीब 2000 प्लाट होल्डर्स ने ही अप्लाई किया है। प्रति मरला फीस 6700 रखी गई है, जोकि अकाली-भजापा सरकार के समय से 5 गुणा है। ऐसे ही बिल्डिंगें मंजूर करवाने के लिए रखी गई फीस भी काफी ज्यादा है। कॉमर्शियल का रेट 100 रुपये वर्ग गज है और रिहायशी का रेट 300 रुपए वर्ग फुट है। इससे लोग पॉलिसी का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।

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