जालंधर के शहीद भगत सिंह नगर में माघ मास पर करवाया यज्ञ, पुरोहित विद्यालंकार ने बताया मकर संक्रांति का महत्व

जालंधर के शहीद भगत सिंह नगर में स्थित आर्य समाज मंदिर में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में यज्ञ हवन का आयोजन किया गया। इस दौरान आर्य समाज के पुरोहित धर्मेद्र विद्यालंकार ने यज्ञ में विधिवत मकर संक्रांति की आहुतियां प्रदान करवा करके यज्ञ को संपन्न करवाया।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 05:37 PM (IST)
जालंधर के शहीद भगत सिंह नगर में माघ मास पर करवाया यज्ञ, पुरोहित विद्यालंकार ने बताया मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति भारत के मुख्य पर्वों में से एक है।

लुधियाना, जेएनएन। जिले के शहीद भगत सिंह नगर के आर्य समाज मंदिर में मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर यज्ञ हवन का आयोजन किया गया। इस यज्ञ के मुख्य यजमान आर्य समाज के प्रधान रंजीत आर्य एवं श्रीमती अनु आर्य मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में पवित्र पावन यज्ञ किया। आर्य समाज के पुरोहित धर्मेद्र विद्यालंकार ने यज्ञ में विधिवत मकर संक्रांति की आहुतियां प्रदान करवा करके यज्ञ को संपन्न करवाया। प्रिया मिश्रा ने यज्ञ प्रार्थना करवाई।

पुरोहित धर्मेंद्र विद्यालंकार ने कहा कि मकर संक्रांति भारत के मुख्य पर्वों में से एक है। यह पर्व पूरे देश मे मनाया जाता। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। आज ही के दिन से उत्तरायण प्रारंभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान कई गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।

प्रधान रंजीत आर्य जी ने कहा कि भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहां पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किंतु माघ मास से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार कम होगा। माघ मास पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है।

यज्ञ के इस पावन अवसर पर हर्ष लखन पाल, भूपेंद्र उपाध्याय, चौधरी हरिचंद, नवीन चावला, सुरेंद्र खन्ना, विजय कुमार चावला, कुबेर शर्मा अमित  सिंह,अनिल मिश्रा,अर्चना मिश्रा एवं अन्य नगर निवासी सम्मिलित हुए।

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