कोविड काल ने शिक्षकाें का बढ़ाया संकट, जिला प्रशासन के हर राेज नए अादेशाें से बढ़ रही परेशानी

कोविड काल में सबसे ज्यादा बुरा हाल शिक्षकों का हो रहा है। अभी एक ड्यूटी खत्म भी नहीं होती है कि नई के ऑर्डर आ जाते हैं।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Jun 2020 10:32 AM (IST) Updated:Fri, 26 Jun 2020 10:32 AM (IST)
कोविड काल ने शिक्षकाें का बढ़ाया संकट, जिला प्रशासन के हर राेज नए अादेशाें से बढ़ रही परेशानी
कोविड काल ने शिक्षकाें का बढ़ाया संकट, जिला प्रशासन के हर राेज नए अादेशाें से बढ़ रही परेशानी

जालंधर, जेएनएन। कोविड काल में सबसे ज्यादा बुरा हाल शिक्षकों का हो रहा है। अभी एक ड्यूटी खत्म भी नहीं होती है कि नई के ऑर्डर आ जाते हैं। वे अगर स्कूलों में दाखिला बढ़ाने का काम न करें तो शिक्षा सचिव का डंडा और कोविड-19 की ड्यूटी न करें तो जिला प्रशासन का डंडा। ऐसे में शिक्षक दिन-रात की ड्यूटियों में पिसते जा रहे हैं। शिक्षकों की ऐसी हालत के बावजूद शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ड्यूटियों को लेकर अभी तक मौन हैं।

यूं तो शिक्षा सचिव शिक्षकों की गैर शैक्षिक ड्यूटी के खिलाफ हैं पर अभी तक उनकी ओर से शिक्षकों के हक में ऐसे कोई भी आदेश जारी नहीं हुए हैं। जिससे शिक्षकों को थोड़ी राहत मिल सके और वे सुकून से काम कर सकें। शिक्षक कहते हैं कि अगर वे अपने स्तर पर विरोध करते हैं तो जो-जो आगे आता है उसके खिलाफ रिपोर्ट तैयार हो जाती है।

हर जगह फिट हैं अध्यापक
पूरे पंजाब में सिर्फ अध्यापक ही हैं जो जगह फिट जाते हैं। या यूं कहें कि अध्यापक ही एक ऐसा वर्ग है जिन्हें हर जगह फिट किया जा सकता है। पहले शिक्षकों की लॉकडाउन में श्रमिकों को घर भेजने के लिए उनका रिकॉर्ड तैयार करने में ड्यूटी लगाई। इसके बाद क्वारंटाइन सेंटरों में आने वालों का रिकॉर्ड तैयार करने में जुटे रहे। फिर आदेश आया कि शराब की फैक्ट्रियों में अध्यापकों की ड्यूटी लगा दो। अब शिक्षकों की अवैध खनन रोकने के लिए भी ड्यूटी लगा दी गई है। अवैध खनन रोकने में पुलिस प्रशासन के असफल रहे हैं। ऐसे में अब शिक्षकों को झोंक दिया गया। अवैध खनन को रोकने के लिए नाके लगाने के लिए ड्यूटी सौंप दी गई है। जिसमें उन्हें रात नौ से देर रात एक बजे तक ट्रक-ट्रालियों को रोक-रोक कर चेक करना होगा। शिक्षकों ने विभाग से थोड़ी राहत प्रदान करने को कहा है।

खाली बैठने को मजबूर शिक्षक
कोरोना वायरस को लेकर लगाया गया कफ्र्यू हटने के बाद से सरकारी स्कूलों को खोलने की इजाजत मिल गई थी। शर्त यह थी कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले किए जा सकें और उन तक किताबें को पहुंचाया जा सके। मगर बोर्ड की तरफ से सप्लाई के नाम पर महज पिछला रिकॉर्ड ही क्लियर किया गया। ऐसे में शिक्षक स्कूल में पहुंचे भी तो किताबें बांटने के लिए। यह प्रक्रिया महज 10 से 15 दिन में ही पूरी भी हो गई। पर अभी भी शिक्षकों का स्कूलों में आना जारी है। शिक्षकों का कहना है कि क्योंकि बच्चों को पढ़ाने का काम तो शुरुआती समय में ही पूरा हो जाता है। ऐसे में स्कूल में बाकी समय बैठे रहना उनकी मजबूरी बन गया है। हालात यह बने हुए हैं कि स्कूल प्रिंसिपल आते हैं तो वे अकेले बैठे रहने के बजाय शिक्षकों को भी अपने साथ बैठाए रखते हैं।

शिक्षक मौका संभाल लगाए चौका
कोरोना महामारी के इस दौर में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को करवाई गई ऑनलाइन पढ़ाई के परिणाम प्राइवेट स्कूलों से बेहतर रहे हैं। इसका एक कारण ये भी था कि सरकारी स्कूलों में मुफ्त में पढ़ाई करवाई गई थी। ऐसे में शिक्षा सचिव अध्यापकों को प्रोत्साहित करने में लगे हुए हैं। अब उनका कहना है कि मौका देखकर चौका लगाएं और सरकारी स्कूलों में दाखिला भी बढ़ाएं। शिक्षा सचिव ने शैक्षिक और गैर शैक्षिक ड्यूटियां देने वाले शिक्षकों की बेहतर प्रतिभा की सराहना करना शुरू कर दी है। वे अब राज्य भर के शिक्षकों को कंप्यूट्रीकृत प्रशंसा पत्र बांटने की मुहिम शुरू कर चुके हैं। प्रशंसा पत्र पाकर शिक्षक खुश भी हैं और उत्साहित भी। वे अपनी उपलब्धि को लेकर सोशल मीडिया पर भी बेहतरीन कार्य के लिए मिले प्रशंसा पत्र को शेयर करते तारीफें बटोर रहे हैं। साथ ही शिक्षा सचिव के इस प्रोत्साहन की सराहना कर रहे हैं।

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