बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा फार्मूला, इमली के बीजों और नारियल से शुद्ध करें पानी

असम के दो बाला वैज्ञानिकों ने पानी आर्सेनिक और फ्लाेराड से मुक्‍त कर शुद्ध बनाने का अनोखा फार्मूला तैयार किया है। पानी को इमली के बीजों व नारियल से शुद्ध किया जा सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 08 Jan 2019 09:58 AM (IST) Updated:Tue, 08 Jan 2019 09:58 AM (IST)
बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा फार्मूला, इमली के बीजों और नारियल से शुद्ध करें पानी
बाल वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा फार्मूला, इमली के बीजों और नारियल से शुद्ध करें पानी

जालंधर, [सत्येन ओझा]। असम के दो बाल वैज्ञानिकों ने पानी को शुद्ध करने का कमाल का फार्मूला तैयार किया है। लवली प्रोफेशनल यूनीवर्सिटी में इंडियन साइंस कांग्रेस में पहुंचे असम के इन वैज्ञानिकों ने भूमिगत जल में आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या को समाप्‍त करने की यह तकनीक तैयार की है। इस फार्मूले से पंजाब के लाेगों को शुद्ध जल मिल सकेगा। दोनों बाल वैज्ञानिकों ने इमली के बीजों व नारियल से पानी में आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा कम करने का फॉर्मूला खोज निकाला है।

असम के बाल वैज्ञानिकों ने पंजाब को दिया शुद्ध पानी का फॉर्मूला

बता दें कि पंजाब के भूतिगत जल में भूमिगत जल में आर्सेनिक व फ्लोराइड की समस्या है। दाेनों बाल वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए फार्मूलों से असम के प्रदूषित जल प्रभावित क्षेत्रों में इस फॉर्मूले का प्रयोग करके लोग शुद्ध पानी पीकर घातक बीमारियों से बच रहे हैं।

 

फार्मूला के बारे में जानकारी देती एक बाल वैज्ञानिक।

इमली के बीजों और नारियल से पानी में आर्सेनिक होगा कम

असम के डेमाजी शहर से इंडियन साइंस कांग्रेस में अपना प्रोजेक्ट लेकर पहुंचीं 12वीं की छात्रा प्रियंका शूडवाल ने अपने प्रयोग के लिए असम के धर्मपुरा नामक क्षेत्र से भूमिगत पानी के सैंपल लिए। लैब की रिपोर्ट के अनुसार पानी में आर्सेनिक की मात्रा .33 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। इस पानी को प्राकृतिक ढंग से चार चरणों में नारियल से गुजारा गया। पहले चरण से गुजरे पानी में आर्सेनिक की मात्रा .17 मिलीग्राम, दूसरे चरण में घटकर .10 मिलीग्राम, तीसरे चरण में .03 मिलीग्राम प्रति मिलीग्राम व अंतिम चरण में यह घटकर .024 मिलीग्राम रह गई।

असम की ही दसवीं कक्षा की एक अन्य छात्रा सुधा ने इमली के बीजों से पानी में फ्लोराइड की अधिकता को दूर करने का फॉर्मूला खोज निकाला है। सुधा ने अपने प्रोजेक्ट में दिखाया कि इमली का बीज फ्लोराइड को सोख लेता है। इमली के बीज को जलाकर जब उसकी राख से भूमिगत पानी को गुजारा जाता है तो पानी के खारेपन (सॉल्ट की अधिकता) को दूर किया जा सकता है। फ्लोराइड व आर्सेनिक की समस्या से जूझ रहे असम में इसी प्रकार से लोग पानी को शुद्ध करके बीमारियों से बच रहे हैं।

यह है पंजाब की स्थिति

दिसंबर 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के 199 गांवों में 13000 स्थानों से भू-जल के नमूने लिए गए थे। जिनके परीक्षण में 25 प्रतिशत स्थानों के पानी में आर्सेनिक का स्तर डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मापदंड से 20 से 50 गुना तक अधिक पाया गया है। आर्सेनिक का उ'च स्तर तरनतारन, अमृतसर व गुरदासपुर जिलों में रावी नदी के बाढग़्रस्त मैदानों में सबसे पाया गया।

आर्सेनिक के अलावा इनमें वायु प्रदूषण, बैंजीन, कैडमियम डाइऑक्सिन एवं अत्यधिक फ्लोराइड, शीशा, पारा और खतरनाक कीटनाशक भी पाए गए थे। डब्ल्यूएचओ ने पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (.001 ग्राम प्रति लीटर) तय की है।

आर्सेनिक व फ्लोराइड की अधिकता से त्वचा रोग, तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग, पेट की बीमारियां, मधुमेह, किडनी रोग, कैंसर, ब'चों के मानसिक विकास में बाधा, गर्भपात, हृदय व हड्डी रोग, दांतों के पीलेपन व काले होने जैसे मामले सामने आते हैं।

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