पौंग झील में अवैध खेती का धंधा, प्रवासी पक्षी भी खतरे में

सरोज बाला, दातारपुर : ब्यास नदी पर बने पौंग बांध को बने हुए 45 साल हो गए यह बांध मिटटी की दीवार से ब

By Edited By: Publish:Wed, 07 Dec 2016 01:01 AM (IST) Updated:Wed, 07 Dec 2016 01:01 AM (IST)
पौंग झील में अवैध खेती का धंधा, प्रवासी पक्षी भी खतरे में

सरोज बाला, दातारपुर : ब्यास नदी पर बने पौंग बांध को बने हुए 45 साल हो गए यह बांध मिटटी की दीवार से बनाया गया है। अधिकतम 40 किलोमीटर लम्बाई और 18 किमी चौड़ाई वाले इस बांध का क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। इसके बिजलीघर में लगी 6 मशीनें कुल 396 मेगावाट बिजली पैदा करती है इसके पानी से ही मुकेरियां हाइडल नहर पर भी 4 बिजलीघर भी बने है ये भी 207 मेगावाट बिजली पैदा करते है। इससे निकली नहर से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा हिमाचल की जमीन सरसब्ज होती है।

जितना इसका महत्व है उतना ही यह उपेक्षा का दंश भी झेल रहा है। कारण है इसमें बेहिसाब सिल्ट या गाद का आना जिससे इस की जलभंडारण क्षमता में लगातार कमी आ रही है ये सब बीबीएमबी प्रबंधन की कुंभकर्णी नींद और जिम्मेदारी का एहसास न होने के चलते हो रहा है।

हजारों एकड़ कृषि भूमि और अनगिनत गांव की जमीन को विस्थापित कर यह बांध अस्तित्व में आया पर विभाग को इस की जरा भी फिक्र नहीं है।

-क्यों है इस का अस्तित्व खतरे में-

इस की झील में समाई जमीन आदि की कीमत यहां के विस्थापितों को 1970 के आसपास दे दी गई थी। बाद में कोर्ट के फैसले के कारण दोबारा बढ़ी हुई कीमत भी लोगो को दी गई। विस्थापितों को इस भूमि के एवज में राजस्थान श्रीगंगानगर तथा हनुमानगढ़ आदि जिलों में हजारो मुरब्बे भूमि भी आबंटित की गई। इसके बावजूद भी लोगों या विस्थापितों ने बांध की जमीन पर खेती करना बंद नही किया। सितंबर महीने के बाद झील से पानी का स्तर घटना शुरू होते ही जमीन पर ट्रैक्टर दनदनाने लगते है और दिसंबर के आखिर तक बांध के पूरे रकबे में से 75 फीसदी जमीन पर कनक, चने व सरसों की बिजाई हो जाती है।

पिछले 45 सालो से चल रहा सिलसिला धड़ल्ले से लगातार जारी है और जारी है प्रबंधन की उदासीनता भी इस साल -बीबीएमबी प्रबंधन ने गर्मियों में पूरे झील क्षेत्र में खेती न करने की चेतावनी वाले बोर्ड लगाए, अनाउससमेंट भी करवाई जिससे इन अवैध खेती करने वालो के कदम कुछ ठिठके पर धीरे धीरे ट्रैक्टर खेतो में जाने लगे और धमेटा बड़ला नगरोटा सूरिया देहरा फतेहपुर आदि इलाको में अब कनक बिजाई पूरे जोरो से बेखौफ हो रही है। इससे बांध में भारी मात्रा में सिल्ट जा रही है और बांध की उम्र घट रही है। झील में आने वाले लाखों प्रवासी पक्षियों की जान पर भी खतरा मंडराता है क्योंकि किसान कनक में खरपतवार नाशी दवाइयों का छिड़काव करते है जिससे कई पक्षी मर जाते है उनकी प्रजनन क्षमता भी कुप्रभावित होती है।

समझ से परे प्रशासन का रवैया

बीबीएमबी कर्मचारी यूनियन के प्रधान अशोक कुमार का कहना है। प्रबंधन का रवैया इस मामले में समझ से परे है इलाका में नाजायज काश्त हो रही है जमीन की कीमत लेने के बाबजूद लोगों द्वारा खेती करना और हर साल लाखों की फसल ले जाना वह भी बांध में हजारो टन सिल्ट भरने की कीमत पर औरप्रबंधन आंखे मूंदे बैठा हो खेद की और ¨चता की बात है। उन्होंने कहा विभाग तत्काल बिजाई रोके और बांध को क्षति से बचाए।

कार्रवाई करवाई जाएगी

पौंग बांध के चीफ इंजीनियर सुरेश कुमार कपूरिया का कहना है कि बांध के झील क्षेत्र की सारी जमीन एक्वायर्ड है, खेती करना मना है, ट्रैक्टर चलने से बरसात में बांध में भारी सिल्ट आना लाजमी है। इससे बांध में सिल्ट हजारो टन आने से जलभंडारण क्षमता में कमी आएगी जो अंतत हानिकारक है उन्होंने 45 सालो से चल रहे इस काम पर हैरानी जताते हुए कहा इस अवैध खेती का संज्ञान लेते हुए वैधानिक कार्रवाई की जाएगी ताकि पौंग बांध के अस्तित्व पर कोई समस्या न आए।

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