10 का सिक्का नहीं लेते दुकानदार व ऑटो चालक

न लोग बुरे है और न ही 10 का सिक्का। फिर भी आम दुकानों से सब्जी मंडी, ऑटो, बस, पेट्रोल पंप और टोल तक पर 10 का सिक्का लेने और नहीं लेने को लेकर विवाद होता देखा जा सकता है। लोग इसके अलग-अलग कारण मानते है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Jul 2018 06:09 PM (IST) Updated:Fri, 20 Jul 2018 06:09 PM (IST)
10 का सिक्का नहीं लेते दुकानदार व ऑटो चालक
10 का सिक्का नहीं लेते दुकानदार व ऑटो चालक

शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर : न लोग बुरे है और न ही 10 का सिक्का। फिर भी आम दुकानों से सब्जी मंडी, ऑटो, बस, पेट्रोल पंप और टोल तक पर 10 का सिक्का लेने और नहीं लेने को लेकर विवाद होता देखा जा सकता है। लोग इसके अलग-अलग कारण मानते है। बैंक और प्रशासन के अपने कर्तव्य है। दुकानदार कहते है कि पूरे दिन सामान बेचने का काम है। करियाना या अन्य छोटी दुकानों पर 10 का सिक्का या नोट होना जरूरी है। इन्ही की बदौलत उनकी दुकानदारी चलती है, लेकिन ग्राहक ही इन 10 के सिक्कों को वापस लेने से इंकार कर देते है। इसलिए कई जगहों पर दुकानदार इससे परहेज करते है। अगर आरबीआई के निर्देश व करंसी एक्ट की बाते करे तो 10 का सिक्का न लेने वालो पर केस दर्ज करने के आदेश दिए है। आदेश के अनुसार 10 का सिक्का भारतीय करंसी है और सरकार द्वारा बनाई गई इस करंसी को मना करना ़कानूनी जुर्म है। यदि कोई इसे लेने से इंकार करता है तो उस पर करंसी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होगी।

कुछ उच्च-मध्यम वर्गीय लोग इसका कारण बताते हुए कहते है कि जिस तबके को 10 का सिक्का प्रभावित करता है वे निम्न या मध्य तबके के लोग है, जो दस तो क्या एक रुपये को भी सोच समझ कर खर्च करते है। ये लोग इस बात से डरे रहते है की कही दस का सिक्का नकली तो नहीं है। यही नहीं वे सही तरीके से पहचान नहीं कर पाते है, इसलिए वे लेने से ही इंकार कर देते है। यही इंकार कहासुनी में बदल जाता है। अब सवाल यह है कि गलती किसकी है। कोई कहता है कि 10 के सिक्के को बंद कर देना चाहिए तो कोई बैंको द्वारा लोगो को जागरूक किए जाने कि बात करता है। क्या कहते हैं दुकानदार

दुकानदार अजय कुमार ने कहा कि हम 10 का सिक्का लेते है लेकिन हमे आ़िखरकार बैंको में ही जाकर जमा करवाने पड़ते है। हम सिक्का न ले तो ग्राहक भी लड़ने लगता है और जब उन्हें देने की बारी आती है तो भी झगड़ा होता है। इसलिए लोगों को समझना चाहिए कि वे 10 के सिक्के की पहचान रखे और इसका इस्तेमाल करना चाहिए। दुकानदार रमन ने कहा कि हमे सिक्के की पहचान है। इसलिए हम ग्राहकों से सिक्का ले लेते है। ग्राहक इन सिक्को को वापस लेने से इंकार कर देते है। तब हमे दिक्कत होती है। प्रशासन को किसी द्वारा सिक्का न लेने पर केस दर्ज की बात तो सही है, लेकिन इससे पहले जरुरी है कि लोगो को जागरूक किया जाए। मेडिकल संचालक अमरजीत ¨सह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र होने से यहां दिक्कत अधिक है। बाहर कही नहीं है। सिक्का भी क्षेत्र में मनमुटाव पैदा कर रहा है। चाय की दुकान, सब्जी मंडी, रेहड़ी वालो, बस चालक, ऑटो वाले और छोटे दुकानदारो के साथ ही निम्न तबके के लोगो के लिए यह मुसीबत बन गया है। सरकार को 500 और 1000 के नोट की तरह यह 10 का सिक्का भी बंद कर देना चाहिए।

ऐसे पहचाने असली या नकली सिक्का :

-- सिक्के के पिछले हिस्से में भारत और अंग्रेजी में इंडिया एक दूसरे के सामने लिखा हुआ है, जबकि नकली सिक्के में दोनों साथ-साथ लिखे होते है।

-- असली सिक्के में रुपये का साइन है और उसके नीचे 10 अंक लिखा हुआ है। नकली सिक्के में केवल 10 का अंक लिखा हुआ है।

-- असली सिक्के में ऊपर की और 10 लाइने बनी है जबकि नकली सिक्के में 15 लाइने होती हैं।

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