सरकार की उदासीनता का शिकार होती रही बीएसएनएल

बीएसएनएल ने समय के साथ अपने तरीकों को बदलते हुए टेलीग्राफी से लेकर 3जी तक का सफर तय किया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 10:59 PM (IST) Updated:Fri, 29 May 2020 10:59 PM (IST)
सरकार की उदासीनता का शिकार होती रही बीएसएनएल
सरकार की उदासीनता का शिकार होती रही बीएसएनएल

जतिन्द्र पिकल, फिरोजपुर : सरकारी कंपनी बीएसएनएल ने समय के साथ अपने तरीकों को बदलते हुए टेलीग्राफी से लेकर 3जी तक का सफर तय किया है। इसी के बदलते स्वरूप व इसके बारे में कुछ रोचक तथ्य निम्नलिखित अनुसार है। जुलाई 2013 को भेजी गई थी अंतिम टेलीग्राम सीनियर सेक्शन अधिकारी संजय कटारिया ने बताया कि फिरोजपुर का नाम बीएसएनएल के इतिहास में सदा जीवित रहेगा। क्योंकि फिरोजपुर से ही अंतिम टेलीग्राम बतौर अकाउंट अधिकारी विशाल कुमार ने 14 जुलाई 2013 को प्रधानमंत्री प्रणम मुखर्जी को भेजी थी। जिसमें लिखा था कि इस अंतिम टेलीग्राम के साथ ही टेलाग्राफी का सुनहरी युग मुकम्मल हुआ है। फिरोजपुर में 1946 में शुरू हुई थी लैंडलाइन सेवा

टेलीग्राफी सेवा के बाद 28 जनवरी 1882 को लैंडलाइन सेवा हुई थी, जिसके पहले चरण में भारत में 93 नंबर लगाए गए। रिटायर सीनियर सेक्शन सुपरवाइजर सतीश कटारिया ने कहा कि फिरोजपुर में लैंडलाइन सेवा 1946 में शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि पिछले करीब 40-50 वर्षाें से भी अधिक कई लैंडलाइन नंबर लगे हुए है। बीएसएनएल बन सकती है नंबर वन कंपनी: अजय जिदल बीएसएनएल में बतौर डीइटी (डिवीजनल इंजीनियर टेलीफोन) के पद पर तैनात अजय जिदल ने कहा कि सरकारी कंपनी होने के बावजूद आज तक यह देश की नंबर वन कंपनी नहीं बन पाई है, क्योंकि शुरू से ही यह सरकारों की उदासीनता का शिकार होती रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी कंपनी पहले सस्ता रिचार्ज या प्लान देकर उपभोक्ता को अपनी तरफ खींचती है, लेकिन बाद में कीमतों में बढ़ोतरी कर देती है। यदि सरकार इसकी तरफ ध्यान दे तो कोई भी कंपनी बीएसएनएल के सामने टिक नहीं सकती और बीएसएनएल कंपनी को देश की नंबर वन कंपनी बनाने से कोई नहीं रोक सकता।

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