अबोहर के सरकारी अस्पताल में नहीं हो रही मरीजों का इलाज

छठे वेतन आयोग के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल के कारण रोजाना ही सरकारी अस्पताल से सैकड़ों मरीजों को बिना दवा व जांच के निराश हो लौटना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 10:16 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 10:16 PM (IST)
अबोहर के सरकारी अस्पताल में नहीं हो रही मरीजों का इलाज
अबोहर के सरकारी अस्पताल में नहीं हो रही मरीजों का इलाज

राज नरूला, अबोहर : छठे वेतन आयोग के विरोध में डाक्टरों की हड़ताल के कारण रोजाना ही सरकारी अस्पताल से सैकड़ों मरीजों को बिना दवा व जांच के निराश हो लौटना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल में रोजाना 300 से 400 के करीब ओपीडी रहती है। कई दिनों से चल रही डाक्टरों की हड़ताल के कारण भले ही मरीज अस्पताल में कम ही आ रहे हैं, लेकिन जो आ रहे हैं, उनको भी बैरंग ही लौटना पड़ रहा है। डाक्टरों ने अपने कैबिन के बाहर पोस्टर लिखकर लगा रखा है कि हड़ताल के कारण मरीज नहीं देखे जाएंगे। दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए इधर-उधर भटकते रहे हैं। वहीं कई महिलाएं व पुरुष आपरेशन के लिए डाक्टर से उपचार करवाने के अस्पताल आए, लेकिन हड़ताल के चलते उन्हें भी बैरंग लौटना पड़ा।

अबोहर से करीब 25 किलोमीटर दूर गांव कुहाडिया वाली से आई अमनदीप कौर ने बताया कि वह बच्चों की दवा लेने आई थी लेकिन डाक्टर नहीं मिला। इसके अलावा यहां से आई रमनदीप कौर भी अपने बच्चों की दवा लेने के लिए अस्पताल पहुंची थी लेकिन डाक्टर न मिलने के कारण निराश बैठी दिखी। इसी तरह गांव कुलार से आई सुभाष भी दवा लेने आया था। अबोहर के ही विजय कुमार ने बताया कि वह शुगर की दवा लेना आया था लेकिन तीन चार दिन से डाक्टर नहीं मिल रहे जिस कारण मुश्किल हो रही है। नई आबादी का माधो राम भी डाक्टर के कमरे के इंतजार में बैठा हुआ था व उसने बताया कि उसे ज्यादा तकलीफ है लेकिन यहां डाकटर नहीं मिल रहे व प्राइवेट डाक्टर से दवा लेने के लिए पैसे नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार या तो डाक्टर की हड़ताल खत्म करवाए या फिर मरीजों को दवा देने का प्रबंध करें।

उधर, डा. सनमान मांजी ने ने कहा कि यदि सरकार ने वेतन आयोग की रिपोर्ट को रद न किया या इसमें संशोधन नहीं किया तो संघर्ष इसी तरह जारी रहेगी। इस मौके पर डा. साहब राम, डा. पुलकति िठठई, डा. सोनिमा छाबड़ा, डा. दीक्षी व डा गगनदीप सिंह समेत स्वास्थ्य स्टाफ मौजूद था। ये सेवाएं रहीं ठप

मेडिकल सेवाएं बंद होने से ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी, दिव्यांग सर्टिफिकेट, यूडीआइडी कैंपस, आयुष्मान सेहत बीमा योजना, टेलीमेडिसन, असला लाइसैंस, ड्राइविग लाइसेंस सहित कई प्रकार के काम नहीं हुए।

डाक्टरों की मांगें

-एनपीए 33 प्रतिशत किया जाए।

--एनपीए को पहले की तरह बेसिक तनख्वाह का हिस्सा माना जाए।

--एनपीए को तनख्वाह का हिस्सा मानते हुए पेंशन फिक्स की जाए।

स्पेशल भत्ता दिया जाए।

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