चंडीगढ़ पर पंजाब की दावेदारी हो रही है कमजोर, निशाने पर आई कैप्‍टन अमरिंदर सरकार

पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा लगातार कमजोर होता जा रहा है। इससे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार निशाने पर आ गई है। ताजा मामले में चंडीगढ़ में रेंज आफिसर की नियुक्ति में पंजाब को दरकिनार कर दिया गया है और हिमाचल प्रदेश के रेंज आफिसर को नियुक्‍त किया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 05 Jan 2021 09:17 AM (IST) Updated:Tue, 05 Jan 2021 09:17 AM (IST)
चंडीगढ़ पर पंजाब की दावेदारी हो रही है कमजोर, निशाने पर आई कैप्‍टन अमरिंदर सरकार
पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा कमजोर होने से कैप्‍टन सरकार निशाने पर है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब का चंडीगढ़ पर पकड़ और दावा लगातार कमजोर होता जा रहा है। पंजाब को दरकिनार कर चंडीगढ़ में हिमाचल का रेंज आफिसर तैनाती होने जा रहा है। ऐसे में पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर‍ सिंह सरकार निशान आ गई है। विपक्ष द्वारा कहा जा रहा है कि पंजाब सरकार की नाकामी के कारण चंडीगढ़ पर पंजाब की दावेदारी कमजोर हो रही है। वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने इस मामले में बचाव करते हुए कहा है कि जल्द ही यह मामला चंडीगढ़ प्रशासन के समक्ष उठाया जाएगा।

उधर, चंडीगढ़ प्रशासन ने बाकायदा रेंज आफिसर को ज्वाइंन करवाने के लिए अपाइंटमेंट लेटर भी भेज दिया है। यह नियुक्ति ऐसे समय में होने जा रही है, जब पंजाब सरकार कई बार चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब के अधिकारियों की नियुक्ति में अनदेखी करने का सवाल उठा चुकी है।

पंजाब दरकिनार, चंडीगढ़ में लगेगा हिमाचल के रेंज आफिसर

पंजाब सरकार जुबानी जमाखर्च करके चंडीगढ़ में अपनी दावेदारी करती रही है। 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चंडीगढ़ के डिप्टी सुप¨रटेंडेंट आफ पुलिस (डीएसपी) के पदों को दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार, लक्ष्यद्वीप, दमन-दीव और दादरा-नगर हेवली पुलिस सर्विस के कैडर में विलय पर विवाद इतना गहरा गया था कि केंद्र सरकार को यह नोटिफिकेशन ठंडे बस्ते में डालनी पड़ी थी। इसी कड़ी में चंडीगढ़ में अध्यापकों की भर्ती के दौरान पंजाब के नियमों को ताक पर रखने पर भी शिरोमणि अकाली दल ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। चंडीगढ़ में होने वाली नियुक्तियों में पंजाब-हरियाणा का 60 : 40 रेश्यो है, जो उसे मिलना ही चाहिए।

अब तक पंजाब-हरियाणा को ही मिलता रहा है जिम्मा

चंडीगढ़ वन विभाग में अब तक पंजाब और हरियाणा से ही डेपुटेशन पर रेंज आफिसर तैनात होते रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बार भी जब डेपुटेशन पर रेंज आफिसर तैनात करने की बात चली तो हरियाणा और पंजाब को ही संपर्क किया जाना था लेकिन उच्चाधिकारियों ने अचानक पूरा मामला पलट दिया।

उच्चाधिकारियों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों से भी रेंज आफिसर के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएं। इस पर पंजाब-हरियाणा के 60 : 40 रेश्यो की तैनाती संबंधी मौखिक तौर पर सवाल भी उठा लेकिन उच्चाधिकारियों ने सभी सवालों को नजरअंदाज कर दिया। सवाल यह भी उठा कि चंडीगढ़ के अधिकार में जो वन्यक्षेत्र है, वह पंजाब और हरियाणा का हिस्सा रहा है। ऐसे में, पंजाब और हरियाणा के वन्य अधिकारी को ही तैनात किया जाना चाहिए लेकिन उच्चाधिकारियों ने इस सवाल को भी नजरअंदाज कर दिया।

हिमाचल के आफिसर की एंट्री कहीं दवाब तो नहीं

चंडीगढ़ में हिमाचल के आफिसर की एंट्री को दबाव या संयोग के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए कि हिमाचल के सांसद अनुराग ठाकुर केंद्र सरकार के स्तर पर चंडीगढ़ प्रशासन में हिमाचल के आफिसर की तैनाती का मामला उठा चुके हैं। बाकायदा संसद में उन्होंने इस बाबत सवाल भी पूछा था।

गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया था कि हिमाचल सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र लिखकर प्रशासनिक स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में हिमाचल की 7.19 हिस्सेदारी की बात रखी थी। इस पत्र में रीआर्गेनाइजेशन एक्ट, 1966 का हवाला देते हुए बताया गया था कि चंडीगढ़ में डेपुटेशन पर हिमाचल के आफिसर तैनात होते थे लेकिन 1993 में चंडीगढ़ प्रशासन ने इस परंपरा को खत्म कर दिया।

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