कभी कॉलेज नहीं गई, फिर भी बनीं कॉलेज की प्रिंसिपल

लक्ष्य हासिल करने के लिए साधनों का होना ज्यादा जरूरी नहीं है, सबसे जरूरी है लगन और मेहनत।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 May 2018 10:48 AM (IST) Updated:Wed, 23 May 2018 10:48 AM (IST)
कभी कॉलेज नहीं गई, फिर भी बनीं कॉलेज की प्रिंसिपल
कभी कॉलेज नहीं गई, फिर भी बनीं कॉलेज की प्रिंसिपल

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : लक्ष्य हासिल करने के लिए साधनों का होना ज्यादा जरूरी नहीं है, सबसे जरूरी है लगन और मेहनत। बिना लगन और मेहनत से कभी भी मुकाम हासिल नहीं होता। यह कहना है एमसीएम डीएवी कॉलेज सेक्टर-36 की प्रिंसिपल निशा भार्गव का। निशा भार्गव ने बताया कि उनका जन्म आनंदपुर साहिब के नजदीक स्थित नंगल में हुआ था। स्कूल की पढ़ाई करने के बाद जब आगे पढ़ाई करनी चाही तो आस-पास कोई कॉलेज नहीं था। नंगल में एक छोटे से ट्यूशन सेंटर से स्नातक की। स्नातक के बाद बुआ ने यह कहते हुए आगे पढ़ाने से इंकार कर दिया कि लड़की ज्यादा पढ़ लिख गई तो उसकी शादी के लिए लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा। निशा भार्गव ने बताया कि ऐसे में जिद करके प्राइवेट एमए इकोनोमिक्स करना शुरू कर दिया। पहले सेमेस्टर का रिजल्ट आया तो सब हैरान थे, क्योंकि मैंने सेल्फ स्टडी से ही पंजाबी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था। एमए में टॉप करने के बाद पापा ने हौसला बढ़ाया और एमफिल के लिए अप्लाई कर दिया। एमफिल का उद्देश्य किसी कॉलेज में अध्यापन का कार्य करना था। हालांकि बुआ का कहना था कि बीएड करा दो ताकि किसी स्कूल में टीचर बन जाए। लेकिन जनून ऐसा था कि मैने बीएड करने के बजाय प्राइवेट के तौर पर एमफिल पूरी की, जिसके बाद शादी हो गई। निशा भार्गव ने बताया कि शादी के बाद पहले एमसीएम कॉलेज चंडीगढ़ में अध्यापन के लिए अप्लाई किया और नंबर भी आ गया, लेकिन किसी कारण यहां से छोड़कर डीएवी कॉलेज होशियारपुर में 25 साल तक पढ़ाया। उसी दौरान पति के सहयोग से पीएचडी भी कर ली। फिर प्रिंसिपल के लिए अप्लाई किया। पहला इंटरव्यू एमसीएम डीएवी सेक्टर-36 के लिए हुआ और उसमें सफल भी हो गई। जो सपना 1990 में अध्यापन का पूरा नहीं हुआ वह अक्टूबर 2015 में प्रिंसिपल बनकर पूरा हो गया।

जीवन परिचय

निशा भार्गव का जन्म नंगल पंजाब में हुआ। पिता स्वर्गीय इंद्र राज भाखड़ा ब्यास में कार्यरत थे और मां निर्मल घरेलू महिला थी। एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है। भाई का निधन हो चुका है और बहन इटली में सेटल है। बड़ी बेटी होने के नाते छोटों को समझाने और खुद बेहतर करने की जिम्मेवारी हमेशा से निशा भार्गव पर रही। पति गुरदीप शर्मा जीजीडीएसडी कॉलेज होशियारपुर के प्रिंसिपल है और पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट के सदस्य के तौर पर बीते आठ सालों से कार्यरत है।

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