Navjot Singh Sidhu ने जगाई उम्मीद, पढ़ें...पर्दे के पीछे की और भी कई रोचक खबरें

राजनीति में ऐसा बहुत कुछ होता है जो मीडिया में सुर्खियां नहीं बन पाता। आइए नजर डालते हैं सियासत की कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर...

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 16 Mar 2020 04:48 PM (IST) Updated:Mon, 16 Mar 2020 04:48 PM (IST)
Navjot Singh Sidhu ने जगाई उम्मीद, पढ़ें...पर्दे के पीछे की और भी कई रोचक खबरें
Navjot Singh Sidhu ने जगाई उम्मीद, पढ़ें...पर्दे के पीछे की और भी कई रोचक खबरें

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज विधायकों के लिए उम्मीद की किरण के रूप में उभरे हैं। कैप्टन से नाराज एक सीनियर विधायक का कहना है कि कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से नाराज युवा विधायक किसी ऐसे चेहरे की तलाश में हैं जो आने वाले समय में उनका लीडर बन सके। पंजाब में दो साल बाद विधानसभा चुनाव है। कैप्टन पिछले चुनाव में कह चुके हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है। जिस तरह से कांग्रेस की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है और विधायकों की नाराजगी बढ़ रही है उससे साफ है कि आने वाले समय में कांग्रेस को एक अदद ऐसे चेहरे की तलाश रहेगी जो कैप्टन के सामने खड़ा हो सके। हालांकि यह कोशिश प्रताप सिंह बाजवा कर चुके हैं और वह लंबे समय से कैप्टन के सामने खड़े हैं, लेकिन उनके साथ विधायक चलने को राजी नहीं हैं।

ये क्या हुआ, इतना काम?

सरकारी कर्मचारियों का काम निश्चित है। रोजाना तय संख्या में ही फाइलें निकलनी हैं। पर इन दिनों खजाना विभाग के कर्मचारी खासे परेशान हैं। पिछले कई सालों से खजाने की स्थिति ठीक न होने के कारण कर्मचारियों के जीपी फंड, मेडिकल बिल, ठेकेदारों की पेमेंट आदि के बिल अटके रहते थे। उन्हें निकलवाने के लिए लोगों को पता नहीं किस-किस की सिफारिश लगवानी पड़ती थी, लेकिन अचानक पिछले हफ्ते विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनिरुद्ध तिवारी ने सभी लंबित बिलों को निकालने के आदेश दे दिए।

खजाना दफ्तरों में तो पहले से ही बिलों का अंबार लगा हुआ था। हर रोज दो से तीन बिल निकालने के ही आदेश थे, पर अचानक आए इस आदेश के कारण विभागीय अधिकारियों को दिन-रात काम करना पड़ रहा है ताकि सारे बिल क्लियर करके बड़े साहब को रिपोर्ट दे सकें। दरअसल इतना काम करने की खजाना विभाग के कर्मचारियों को आदत नहीं है।

अदालतों में और इंतजार

कोरोना वायरस को लेकर देश भर में पसरते आतंक के कारण सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अदालतों में सिर्फ अति आवश्यक मामलों की सुनवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं। अब हाई कोर्ट ने भी सिर्फ अति आवश्यक केसों की सुनवाई को ही तरजीह देने का फैसला किया है। अदालतों में अगर सीमित मामलों की सुनवाई की व्यवस्था अपनाई जाती है तो वषों से लंबित पड़े मामलों की सूचियों में तेजी से इजाफा होगा। हाई कोर्ट में पहले ही सभी आगंतुकों की स्क्रीनिंग आरंभ की जा चुकी है। कोरोना वायरस से पिंड छूटने में फिलहाल अभी कितना समय लगेगा, इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। कोरोना का यह दंश लोगों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करवा सकता है।

खुद मियां फजीहत, औरों को नसीहत

कोरोना वायरस को लेकर कैप्टन सरकार को खुद ही समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। सरकार नौसिखियों की तरह व्यवहार करती दिख रही है। पहले शुक्रवार को विभाग ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया, लेकिन शाम को मुख्यमंत्री ने आदेश वापस ले लिए। शनिवार को फिर इसी तरह सरकार जूझती दिखी। मंत्री ने सुबह बयान दिया कि शॉपिंग मॉल बंद कर दिए हैं, लेकिन शाम को इसी बात पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, मॉल नहीं बंद किए गए हैं। लोगों को कोरोना से न डरने की सलाह जरूर देते रहे। इससे ज्यादा उनके पास बताने के लिए कुछ नहीं था। 31 मार्च को रिटायर होने वाले डॉक्टरों को एक्सटेंशन देने पर विचार करने का बयान दिया पर कुछ ही समय बाद नोटिफिकेशन जारी कर दी। शाम को चीफ सेक्रेटरी भी अधिकारियों के साथ मीटिंग करते नजर आए। सरकार ही लोगों को पैनिक कर रही है।

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