6500 वेंडर्स की दो माह की लाइसेंस फीस माफ, भाजपा पार्षद अभी भी नाराज

कमिश्नर केके यादव ने आश्वासन दिया है कि अगर कोरोना बढ़ता है और लॉकडाउन के कारण वेंडर्स की फीस अदा करने में मुश्किल आती है तो फिर से फीस माफ करने का प्रस्ताव विचार कर लिया जाएगा।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 01:23 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 01:23 PM (IST)
6500 वेंडर्स की दो माह की लाइसेंस फीस माफ, भाजपा पार्षद अभी भी नाराज
6500 वेंडर्स की दो माह की लाइसेंस फीस माफ, भाजपा पार्षद अभी भी नाराज

चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के रजिस्टर्ड वेंडर्स के लिए एक राहत वाली खबर है कि उन्हें अप्रैल और मई माह की लाइसेंस फीस नहीं देनी होगी। नगर निगम ने ऐसे 6500 वेंडर्स की फीस कोरोना के कारण माफ करने का फैसला लिया है। पिछले दो माह से शहर की वेंडिंग जोन साइट पर भी किसी वेंडर्स ने दुकान नहीं लगाई है सिर्फ सब्जी और फल बेचने वाले वेंडर्स ही काम कर रहे हैं।

शुक्रवार को नगर निगम की सदन की बैठक में यह फैसला लिया गया है। जबकि भाजपा के पार्षद चाहते थे कि दिसंबर माह तक की वेंडर्स की फीस माफ करनी चाहिए जिसके लिए कमिश्नर केके यादव नहीं माने। कमिश्नर केके यादव ने यह आश्वासन दिया है कि अगर आगे कोरोना बढ़ता है और लॉकडाउन के कारण वेंडर्स की फीस अदा करने में मुश्किल आती है तो फिर से फीस माफ करने का प्रस्ताव विचार कर लिया जाएगा। भाजपा पार्षद अनिल कुमार दुबे ने सदन में खुलकर वेंडर्स के पक्ष में आवाज उठाई। दो माह के प्रस्ताव पास होने से दुबे नाराज है। दुबे ने कहा कि इस समय वेंडर्स का बुरा हाल है उनके लिए अपने परिवार का पोषण् करना भी मुश्किल है ऐसे में उनसे दिसंबर माह तक की लाइसेंस फीस माफ करनी चाहिए।

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मोदी सरकार के फैसलों से जनता खुश: भसीन

कोरोना महाकाल ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। ऐसे में मोदी सरकार ने न केवल देश की जनता का भरोसा जीता वहीं दुनिया में भारत का दबदबा कायम करने में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह कहना है भाजपा इंडस्ट्रियल सेल के कन्वीनर अवि भसीन का। भसीन ने भाजपा सरकार के एक साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साहसिक फैसलों से देश की जनता खुश है। लोग मानते हैं कि अगर मोदी सरकार समय रहते लॉकडाउन का फैसला नहीं लेती तो शायद हालात कुछ और होते। अमेरिका जैसी महाशक्ति ने लॉकडाउन का फैसला लेने में देरी की तो कोरोना ने पूरे देश को चपेट में ले लिय। सरकार ने लॉकडाउन काल में गरीबों के आर्थिक स्थिति व हितों को ध्यान रखते हुए विभिन्न फैसले लिए जो कारगार साबित हुए। उन्होंने उद्योगों को दोबारा शुरू करने का काम करवाया जिससे देश के तमाम व्यापारियों ने प्रधानमंत्री की दूरगामी दृष्टि की प्रसंशा की। उद्योगों के पूर्ण रूप से खुल जाने से गरीबों को रोजगार के सुअवसर भी प्रदान हुए।

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