महज 68 घंटे के नवजात का ऑर्गेन ट्रांसप्लांट कर PGI ने रचा इतिहास Chandigarh news

नवजात का ब्रेन पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाया था और उसे इलाज के लिए पीजीआइ चंडीगढ़ में तीन दिन पहले लाया गया था।

By Edited By: Publish:Thu, 20 Feb 2020 06:58 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 12:28 PM (IST)
महज 68 घंटे के नवजात का ऑर्गेन ट्रांसप्लांट कर PGI ने रचा इतिहास Chandigarh news
महज 68 घंटे के नवजात का ऑर्गेन ट्रांसप्लांट कर PGI ने रचा इतिहास Chandigarh news

चंडीगढ़, जेएनएन।  PGI Chandigarh में महज 68 घंटे के एक नवजात का ऑर्गेन ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा है। पीजीआइ चंडीगढ़ ने जोखिम उठा नवजात के इस ऑर्गेन ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफल बनाया। नवजात का जन्म पटियाला के एक अस्पताल में हुआ था।

नवजात का ब्रेन पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाया था और उसे इलाज के लिए PGI चंडीगढ़ में तीन दिन पहले लाया गया था। डॉक्टरों की मानें तो नवजात का ब्रेन पूरी तरह विकसित नहीं था, जिसके कारण वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता था।

बच्चे के मां-बाप ने उसके ऑर्गेन डोनेट करने की हिम्मत दिखाई, ताकि उनके बच्चे की बदौलत किसी को नई जिंदगी मिल सके। पीजीआइ के रोटो विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक नवजात महज 68.30 घंटे ही जीवित रहा। नवजात का ऑर्गेन डोनेट कर देश भर में यंगेस्ट डोनर का खिताब हासिल किया।

पटियाला के बहादुर पिता ने ऑर्गेन डोनेशन का किया फैसला

महज 68.3 घंटे ही जीवित रहे नवजात के बहादुर पिता ने ऑर्गेन डोनेशन का फैसला किया। जोकि मूल रूप से पंजाब के जिला पटियाला के रहने वाले हैं। बच्चे के पिता ने कहा वे अपने बच्चे को खोने का दर्द समझते हैं। इसलिए उन्होंने ऑर्गेन डोनेशन का फैसला लिया है। ताकि हमारा बच्चा दूसरे के माध्यम से जीवित रह सके।

पीजीआइ निदेशक ने डॉक्टरों के प्रयास को सराहा

पीजीआइ निदेशक प्रो. जगतराम ने नवजात के ऑर्गेन ट्रांसप्लांट करने वाली टीम में शामिल डॉक्टरों द्वारा उठाए गए इस जोखिम भरे कदम की सराहना की। इस टीम में रेडियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थीसिया, इम्यूनोपैथोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जरी के डॉक्टर शामिल थे। प्रो. जगतराम ने कहा कि पीजीआइ के डॉक्टरों ने इस दुर्लभ और ऐतिहासिक प्रत्यारोपण को एक छोटे समय सीमा के भीतर सक्षम किया है। जोकि मृतक नवजात के परिवार के इस हिम्मत भरे फैसले के बिना संभव नहीं था।

नवजात की दोनों किडनी की गई ट्रांसप्लांट

पीजीआइ चंडीगढ़ के रोटो विभाग के प्रो. विपिन कौशल और रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. आशीष शर्मा ने बताया कि क्योंकि यह केस एक नवजात डोनर का था। इसमें ऑर्गेन ट्रांसप्लांट करते समय यह ध्यान रखना बहुत जरूरी था कि नवजात के ऑर्गेन को दूसरे किस उम्र के मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाना है। यह देखते हुए टीम ने नवजात की दोनों किडनी एक युवक को सफल सर्जरी द्वारा ट्रांसप्लांट की।

इससे पहले 11 महीने के बच्चे का हुआ है ऑर्गेन ट्रांसप्लांट

इससे पहले PGI चंडीगढ़ के रोटो विभाग ने 11 माह के बच्चे का ऑर्गेन ट्रांसप्लांट किया था। देश भर में अगर नवजात बच्चों के ऑर्गेन डोनेशन की बात करें तो पीजीआइ चंडीगढ़ के नए रिकॉर्ड से पहले तीन माह के नवजात का ऑर्गेन डोनेट हुआ था। अब पीजीआइ चंडीगढ़ ने महज 68.3 घंटे के नवजात का ऑर्गेन डोनेट कर रिकॉर्ड बना दिया है।   

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