शिक्षा में बदलाव समय की मांग, नई सोच के साथ देश बढ़ेगा आगे

देशभर में चंडीगढ़ शहर की गिनती एजुकेशन हब के तौर पर होती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Apr 2020 09:41 PM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 06:12 AM (IST)
शिक्षा में बदलाव समय की मांग, नई सोच के साथ देश बढ़ेगा आगे
शिक्षा में बदलाव समय की मांग, नई सोच के साथ देश बढ़ेगा आगे

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़ : देशभर में चंडीगढ़ शहर की गिनती एजुकेशन हब के तौर पर होती है। स्कूल, कॉलेजों से लेकर प्रोफेशनल स्तर की पढ़ाई के लिए हर साल लाखों युवा शहर में विभिन्न कोर्स की तैयारी के लिए आ रहे हैं। दिल्ली, कोटा की तरह चंडीगढ़ भी कोचिग हब बन चुका है। यहां के प्राइवेट ही नहीं, सरकारी स्कूल भी देशभर में टॉप रैंकिग में जगह बना रहे हैं। हर साल एजुकेशन सेक्टर से सरकार को कमाई का बड़ा हिस्सा मिल रहा है। आइआइटी, एम्स जैसे संस्थानों में दाखिले के लिए कोचिग लेने स्टूडेंट्स चंडीगढ़ आते हैं। 14 वर्ग किलोमीटर में फैले चंडीगढ़ जैसे छोटे से शहर में 115 से अधिक सरकारी और 75 से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं जोकि देशभर में सबसे बेहतर है। मौजूदा समय में कोरोना वायरस संक्रमण से महामारी के बाद स्कूल, कोचिग सेंटर से लेकर शिक्षा क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। लेकिन समय के साथ पढ़ाई में बदलाव देखने को मिल रहे हैं। प्राइवेट ही नहीं, सरकारी स्कूलों में भी बदलावों को स्वीकार करना शुरू कर दिया है जिसे भविष्य की मांग बताया जा रहा है। दैनिक जागरण ने चंडीगढ़ में शिक्षा की बदलती तस्वीर पर प्रकाश डालने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट से बातचीत की जिसमें भावी चुनौतियां, इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत, कोर्स और परीक्षाओं के सिस्टम में बदलाव को लेकर अपने विचार रखे। सभी का मत है कि अब समय आ गया है कि देश के एजुकेशन सिस्टम को जरूरत के हिसाब से नए सिरे से तैयार किया जाए। क्या कहना है एक्सपर्ट का

1. हमने इस बदलाव को 6-7 साल पहले ही स्वीकर कर लिया था। आज हमारे पोर्टल पर नब्बे लाख स्टूडेंट्स ऑनलाइन रजिस्टर्ड हैं। अब ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भारी भरकम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं है। अब नार्मल की परिभाषा बदलकर न्यू नार्मल हो जाएगी। ऑनलाइन पढ़ाई कांसेप्ट अब कॉमन हो जाएगा। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जिसमें सरकारी संस्थान भी शामिल हैं, अब बदलाव के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

-ह्देश मदान, फाउंडर हिट बुल्स आइ, सेक्टर-8, चंडीगढ़ 2. मैं इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हूं, मेरे विचार से हमें आने वाले समय में दोहरी अर्थव्यवस्था को स्वीकार करना होगा। एजुकेशन क्षेत्र में बहुत तेजी के साथ बदलाव हो रहे हैं और यह जरूरत भी है। लॉकडाउन में एमसीएम कॉलेज प्रोफेसर ने चार हजार से अधिक लेक्चर डिजिटल माध्यम से तैयार किए हैं। जिसमें टीचर्स की क्रिएटिविटी भी दिखी। ऑनलाइन शिक्षा को ग्रामीण स्तर पर डेवलप होने में कुछ समय जरुर लगेगा। यह समस्या स्टूडेंट्स के फीडबैक से मिल रही है। आने वाले समय में एजुकेशन में बड़ा बदलाव तय है।

-डॉ. निशा भार्गव, प्रिसिपल, एमसीएम डीएवी कॉलेज, सेक्टर-36, चंडीगढ़ सच यह है कि अभी सरकारी स्तर के शिक्षण संस्थान खास तौर से स्कूल डिजिटल एजुकेशन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। लेकिन समय की मांग है कि पढ़ाई के नए तरीकों को एक्सप्लोर किया जाए। पढ़ाई के लिए एफएम रेडियो, केबल नेटवर्क, दूरदर्शन जैसे माध्यमों का बेहतर प्रयोग किया जा सकता है। टीचर्स नोट्स बनाकर स्टूडेंट्स को उपलब्ध करा सकते हैं। परीक्षाओं और प्रेक्टिकल एग्जाम स्तर पर भी बदलाव करना होगा। जरूरी है कि गवर्नमेंट टीचर्स को डिजिटल कांसेप्ट के लिए ट्रेनिग दी जाए। बहुत से शिक्षक पीपीटी तैयार करने में भी निपुण नहीं है।

-रामकुमार, नेशनल अवॉर्डी (शिक्षा क्षेत्र) पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, चंडीगढ़ लॉकडाउन ने टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों को बदलाव का सिग्नल दे दिया है। क्लास रूम पढ़ाई से बेहतर विकल्प तो नहीं हो सकता लेकिन मौजूदा हालात के लिए टीचर्स को तैयार रहना पड़ेगा। मैं इन दिनों लगातार डिजिटल सॉल्यूशन से क्लास ले रही हूं। मेरा मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में चंडीगढ़ देश के टॉप शहरों में गिना जाता है। टीचर के साथ ही मैं खुद पेरेंट्स होने के नाते चाहती हूं कि बच्चों को समय और जरुरत के हिसाब से बेहतर शिक्षा मिले।

-मंगला शर्मा, लेक्चरर, कॉमर्स, सेक्टर-8 डीएवी स्कूल (लाहौर) चंडीगढ़ सरकारी टीचर्स भी अब वक्त के साथ खुद को टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बना रहे हैं। लॉकडाउन में पहली बार डिजिटल सॉल्यूशन के माध्यम से स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में तो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो रहा है लेकिन बहुत से बच्चे गरीब परिवार से हैं जिनके लिए स्मार्ट फोन और इंटरनेट पैक लेना आसान नहीं। सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के पेरेंट्स को भी अवेयर करना होगा। यह समय सभी टीचर्स के लिए खुद को अपडेट करने और भविष्य के लिए तैयार रहने की सीख दे रहा है।

-सविता जांगिड़, टीजीटी मेडिकल साइंस, जीएमएचएस मलोया, चंडीगढ़

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