चंडीगढ़ में डा. हरमोहिंदर बेदी ने कहा, वेस्टर्न कल्चर अच्छा पर हमें अपनी संस्कृति कभी नहीं भूलनी चाहिए

चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज सेक्टर-32 में हुई वेबिनार में मुख्य वक्ता डा. हरमोहिंदर सिंह बेदी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे की संस्कृति की जानकारी होना अच्छा है। बेहतर यह होगा कि हम अपनी संस्कृति को मुख्य रखकर उसके रंग में रंगें।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 16 Dec 2020 04:52 PM (IST) Updated:Wed, 16 Dec 2020 04:52 PM (IST)
चंडीगढ़ में डा. हरमोहिंदर बेदी ने कहा, वेस्टर्न कल्चर अच्छा पर हमें अपनी संस्कृति कभी नहीं भूलनी चाहिए
चंडीगढ़ के एसडी कालेज में पश्चिमी संस्कृति का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव पर वेबिनार हुई।

चंडीगढ़, जेएनएन। एसडी कॉलेज सेक्टर-32 में हिंदी विभाग ने पाश्चात्य प्रभाव के कारण भारतीय संस्कृति और साहित्य में परिवर्तन विषय पर वेबिनार करवाई। इसका उद्देश्य पाश्चात्य संस्कृति के प्रभावों का आंकलन करना था। वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर डा. हरमोहिंदर सिंह बेदी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि किसी दूसरे की संस्कृति की जानकारी होना अच्छा है। बेहतर यह होगा कि हम अपनी संस्कृति को मुख्य रखकर उसके रंग में रंगें।

उन्हाेंने कहा कि कोई भी विकास खुद के अस्तित्व को भूल कर नहीं हो सकता है। विश्व के दूसरे क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए डा. हरमोहिंदर ने कहा कि उन देशों में हम जब भी जाते हैं, तो सबसे पहले हमें उनकी संस्कृति देखने को मिलती है। यदि कुछ समय तक हम उन लोगों के साथ रहना शुरू कर देते हैं तो वह हमारी संस्कृति और हमारा रहन-सहन अपनाने लगते हैं। फिर भी, वह खुद को कभी नहीं भूलते और यही उनकी खूबी है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने लंबे समय तक भारत में राज किया लेकिन भारत में लंबे समय तक रहने के बावजूद वह अपनी संस्कृति को भूलकर भारतीय संस्कृति में नहीं रंगे। इसी कारण आज भी उनका डंका आज पूरी दुनिया में बजता है ।

भारतीय संस्कृति कई संस्कृतियों की मांः प्रिंसिपल डा. बलराज

कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. बलराज थापर ने कहा कि भारतीय संस्कृति सबसे पुरानी है और इसे विभिन्न संस्कृतियों की मां के रूप में जाना जाता है। दुख की बात है कि युवा दूसरे देशों का कल्चर अपना रहे हैं लेकिन खुद को भूल रहे हैं। यह चिंता का विषय है। हिंदी विभाग की हेड डा. प्रतिभा कुमारी ने भी भूमंडलीकरण के कारण हो रही प्रस्तुत चुनौतियों और उनके प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बच्चों को विदेशी रंग में रंगने से ज्यादा जरूरी है कि हम उन्हें अपनी संस्कृति में रंगे ताकि वह देश के विकास में भागीदार बन सकें।

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