17 की उम्र में चंडीगढ़ के अक्षित ने छेड़ी एेसी मुहिम, कई को मिल चुका जीवनदान

17 वर्षीय अक्षित आज बड़े बड़ों के लिए प्रेरणास्रोत है। उसने इस उम्र में बड़ी सोच रखी। अक्षित अब तक अंगदान मुहिम से कई को जीवनदान दे चुका है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 10:44 AM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 09:17 AM (IST)
17 की उम्र में चंडीगढ़ के अक्षित ने छेड़ी एेसी मुहिम, कई को मिल चुका जीवनदान
17 की उम्र में चंडीगढ़ के अक्षित ने छेड़ी एेसी मुहिम, कई को मिल चुका जीवनदान

चंडीगढ़ [कुलदीप शुक्ला]। महज 17 साल की उम्र। लेकिन, सोच बहुत बड़ी। लोगों को नई जिंदगी देने की सोच। चंडीगढ़ निवासी स्कूली छात्र अक्षित छाबड़ा पिछले तीन साल से ‘अंगदान महादान’ की मुहिम चला रहे हैं। देश-विदेश के 1100 लोगों को इस मुहिम से वह अब तक जोड़ने में सफल रहे हैं। आज अक्षित की इस सोच ने ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है, जिससे न केवल उनके माता-पिता, टीचर व दोस्त उन पर गर्व महसूस कर रहे हैं, बल्कि समाज में भी उनकी एक अलग पहचान बन गई है।

17 साल के अक्षित ने ऑर्गन डोनेशन की मुहिम को अपने जीवन का एक लक्ष्य बना लिया है। अक्षित के माता-पिता पीजीआइ चंडीगढ़ में सीनियर डॉक्टर हैं। शहर के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे अक्षित की इस मुहिम से पिछले तीन साल में अब तक कई लोगों को नई जिंदगी मिल चुकी है। अक्षित को पढ़ाई के अलावा टेनिस का भी बहुत शौक है। टेनिस में वे चैंपियन हैं।

तीन साल पहले शुरू की थी यह मुहिम

अक्षित द्वारा शुरू की गई ऑर्गन डोनेशन मुहिम का सिलसिला उनके स्कूल से शुरू हुआ था। साल 2016 में जब उनके स्कूल में ऑर्गन डोनेशन को लेकर नुक्कड़ नाटक पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, वह इससे खासे प्रभावित हुए। अक्षित ने बताया कि जब उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत की थी, वे इतने समझदार और परिपक्व नहीं थे, लेकिन उन्होंने जब इस बारे में अपने पिता डॉक्टर राजेश छाबड़ा से बात की, तब उनके पिता ने उन्हें एक बेटे की तरह नहीं, बल्कि एक डॉक्टर के रूप में ऑर्गन डोनेशन जैसे इस सामाजिक कार्य की महत्ता के बारे में पूरी जानकारी दी।

बकौल अक्षित जब पिता ने उनको बताया कि आज भारत में ऑर्गन डोनेशन की बहुत जरूरत है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है, अक्षित ने ऑर्गन डोनेशन की मुहिम शुरू करने का मन बनाया। वह चाहते थे कि दूसरे लोग भी अंगदान की अहमियत को समझ सकें ताकि जरूरतमंदों की जान बचाई जा सके। वह कहते हैं, इस मुहिम को मैंने अपनी जिंदगी का एक लक्ष्य बना लिया है. जीवन भर इसके लिए काम करता रहूंगा।

स्कूल से की शुरुआत

अक्षित बताते हैं कि इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने अपने स्कूल स्ट्रॉबेरी फील्ड्स से की थी। स्कूल में 75 स्टूडेंट्स और 50 टीचरों को ऑर्गन डोनेशन के लिए अपने साथ जोड़ा। फिर धीरे-धीरे चंडीगढ़ व अन्य जगहों और विदेश तक इस मुहिम का दायरा बढ़ाया। सोशल मीडिया का सदुपयोग किया। वह अब तक 1100 लोगों को ऑर्गन डोनेशन के लिए राजी कर चुके हैं। अक्षित ने बताया कि उन्होंने ऑर्गन डोनेशन को लेकर एक ऑनलाइन साइट भी तैयार की है, जिसका नाम सपोर्ट आर्गन डोनेशन नाम है। वह फेसबुक, ट्विटर व इंस्टाग्राम के जरिये भी अपने इस ऑर्गन डोनेशन मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुहिम सर जोड़कर भारत में ऑर्गन डोनेशन की जरूरत को पूरा किया जा सके।

अक्षित ने बताया कि उन्होंने सपोर्ट ऑर्गन डोनेशन नाम से जो वेब पेज तैयार किया है, उस पर न केवल देश बल्कि विदेश से भी लोग ऑर्गन डोनेशन के लिए अपनी इच्छा से रजिस्टर कर सकते हैं और इस मुहिम के साथ जुड़ सकते हैं। कई लोग अब तक सपोर्ट ऑर्गन डोनेशन नाम के इस वेब पोर्टल से ऑर्गन डोनेशन के लिए रजिस्टर भी करा चुके हैं।

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