विभाजन के समय कत्लेआम में बिछड़े दो भाई 74 साल बाद मिले, जानें पूरी कहानी

श्री करतारपुर साहिब में 10 जनवरी को 74 साल पहले विभाजन के दौरान मचे कत्लेआम में बिछड़ दो भाई हबीब और सदीक खान आपस में मिले। मां के साथ रुके छोटे भाई हबीब ने शादी नहीं की है वहीं बड़े भाई सदीक का भरापूरा परिवार है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 13 Jan 2022 04:35 AM (IST) Updated:Thu, 13 Jan 2022 11:37 AM (IST)
विभाजन के समय कत्लेआम में बिछड़े दो भाई 74 साल बाद मिले, जानें पूरी कहानी
74 साल बाद मिले बाएं से दूसरे हबीब और उनके साथ छोटे भाई सदीक।

बठिंडा (गुरप्रेम लहरी)। देश की आजादी के समय बिछड़े दो भाई 74 साल बाद 10 जनवरी को जब श्री करतारपुर साहिब में मिले तो वहां खड़ा हर शख्स भावुक हो गया। सभी की आंखों में आंसू भर आए। इन दोनों भाइयों को मिलवाने के लिए पाकिस्तान निवासी नासिर ढिल्लों, लवली सिंह लायलपुर व बठिंडा के गांव फूलेवाला निवासी डा. जगसीर सिंह सूत्रधार बने।

नासिर ढिल्लों व सरदार लवली सिंह  लायलपुर पाकिस्तान के गांव बोघड़ा में गए थे। उस समय उनको वहां 80 वर्षीय बुजुर्ग सदीक खान मिले। सदीक ने उनसे कहा कि देश के विभाजन के समय उनकी मां और भाई भारत में रह गए थे। उनके भाई का नाम हबीब उर्फ सीका है। वह मां के साथ ननिहाल फूलेवाला गए हुए थे। विभाजन के समय हम दोनों बिछड़ गए और फिर आज तक नहीं मिल पाए। इसके बाद लवली सिंह लायलपुर ने एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर डाला तो फूलेवाला गांव के डा. जगसीर सिंह  ने उनसे संपर्क साधा और बुजुर्ग हबीब के बारे में बताया। उन्होंने दोनों भाइयों की वीडियो काल के जरिये बातचीत भी कराई।

डा. जगसीर सिंह ने बताया कि बुजुर्ग हबीब ने वही बात बताई जो सदीक बता रहे थे। हबीब ने बताया कि देश के विभाजन के समय कत्लेआम शुरू हुआ तो वह अपनी मां के साथ अपने ननिहाल फूलेवाला में आए हुए थे जबकि बड़े भाई और पिता जगराओं के पास स्थित गांव में थे। ऐसे में मां और वह यहां रह गए, जबकि बड़े भाई व पिता पाकिस्तान चले गए। उसके बाद दोनों का कुछ पता नहीं चला।

नासिर ढिल्लों व लवली सिंह  के प्रयास से भाई से संपर्क होने के बाद हबीब ने अपना पासपोर्ट बनवाया, लेकिन कोरोना के कारण श्री करतारपुर साहिब का रास्ता बंद कर दिया गया। इस कारण वह नहीं मिल पाए। अब जब बार्डर खुले तो दोनों भाइयों का मिलन हुआ। इस दौरान बड़े भाई भावुक हो कर रो पड़े तो छोटे ने ढांढस बंधाया। कहा कि-हाले वी तूं चंगा मन्न कि मिल गए आपां। मां के साथ रहे हबीब ने विवाह नहीं किया, जबकि पाकिस्तान चले गए भाई सदीक ने निकाह कर लिया। अब उनके बेटे-बहू का भरापूरा परिवार है।

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