बैसाखी का त्योहार खालसा स्थापना दिवस के तौर पर मनाएंगे किसान

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग के समक्ष किसानों का धरना सोमवार को 194वें दिन में प्रवेश कर गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 03:58 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 03:58 PM (IST)
बैसाखी का त्योहार खालसा स्थापना दिवस के तौर पर मनाएंगे किसान
बैसाखी का त्योहार खालसा स्थापना दिवस के तौर पर मनाएंगे किसान

संवाद सहयोगी, बरनाला

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग के समक्ष किसानों का धरना सोमवार को 194वें दिन में प्रवेश कर गया। इसी तरह महलकलां टोल प्लाजा व बडबर टोल प्लाजा पर किसान संगठनों द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ किया जा रहा रोष-प्रदर्शन भी जारी रहा।

धरने को संबोधित करते किसान बलवंत सिंह उप्पली, उजागर सिंह बेहला, गुरनाम सिंह ठीकरीवाला, बाबू सिंह, प्रेमपाल कौर, चरणजीत कौर, अमरजीत कौर, नछतर सिंह, मनजीत राज, गुरमेल शर्मा, केवल सिंह फरवाही, गोरा सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे ने 13 अप्रैल को बैसाखी के त्योहार को खालसा साजना दिवस के तौर पर मनाने का आह्वान किया। इसी दिन जलियांवाला बाग के खूनी कांड के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी। किसान नेताओं ने इस एतिहासिक दिवस को मनाने की तैयारियों संबंधी चर्चा की व सभी जनतक संगठनों व इंसाफ पसंद लोगों को यह दिवस किसान धरनों में मनाने की अपील की। लंगर की सेवा का भी प्रबंध किया गया है। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार के खेती कानून विश्व व्यापार संस्था, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व कारपोरेट घरानों के निर्देशों तहत बनाए गए हैं। 2013 में विश्व व्यापार संस्था की इंडोनेशिया के शहर बाली में हुई बैठक में भारत सरकार ने खेती क्षेत्र को खुली मंडी के हवाले करने का वादा किया था। उस बैठक में तत्कालीन कांग्रेसी मंत्री कमलनाथ ने भारत की नुमाइंदगी की थी। यह काले कानून उसी वादे की पूर्ति हेतु बनाए गए हैं। वक्ता मेजर सिंह, नाजर सिंह, तेजा सिंह, मघ्घर सिंह, मेजर सिंह, गुरदेव सिंह, भजन सिंह, सविदर सिंह, एकम सिंह, नेक सिंह, विक्की सिद्धू ने सभी से 13 अप्रैल को बड़ी गिनती में शमूलियत करने की अपील की। बहादुर सिंह काला धनौला व नरिदरपाल सिगला ने गीत-कविताएं पेश की।

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