तोड़ी परंपरा, इस बार लड़कियां भी बनीं लंगूर

। पांव में छम छम करते घुंघरुओं की आवाज.. ढोल की थाप पर झूमते लंगूर.. लाल व सिल्वर गोटे वाला चोला सिर पर टोपी तथा हाथ में छड़ी पकड़े हजारों लंगूर तीर्थ परिसर में ऐसे दिखाई दे रहे थे जैसे हनुमान जी के स्वरूप धरती पर उमड़ आए हो।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Sep 2019 12:51 AM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 12:51 AM (IST)
तोड़ी परंपरा, इस बार लड़कियां भी बनीं लंगूर
तोड़ी परंपरा, इस बार लड़कियां भी बनीं लंगूर

कमल कोहली, अमृतसर

पांव में छम छम करते घुंघरुओं की आवाज.., ढोल की थाप पर झूमते लंगूर.. लाल व सिल्वर गोटे वाला चोला सिर पर टोपी तथा हाथ में छड़ी पकड़े हजारों लंगूर तीर्थ परिसर में ऐसे दिखाई दे रहे थे, जैसे हनुमान जी के स्वरूप धरती पर उमड़ आए हो। चारों तरफ जय श्रीराम, जयश्री बजरंग बली के जयकारों की गूंज में लंगूर बने नन्हे बच्चों को गोद में उठाकर माता-पिता लंबी लाइनों में खड़े होकर श्री दुग्र्याणा तीर्थ के श्री बड़ा हनुमान मंदिर में श्री हनुमान जी के विग्रह के दर्शन हेतु उतावले दिखाई दिखे। पंडितों द्वारा पूजा अर्चना करके अपने बच्चों को लंगूर का चोला पहनाकर परिवार अपनी मन्नत पूरी होने पर खुश दिखाई दे रहे थे। इस बार जहां तीर्थ में लड़के लंगूर बने, वहीं कई परिवारों ने अपनी लड़कियों को भी लंगूर बनाकर लड़के व लड़की में भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। रविवार से दस दिनों तक चलने वाला लंगूर मेले के प्रथम दिन तीर्थ परिसर में ऐसा धार्मिक अदभुत नजारा दिखाई दे रहा था, जो भारत के किसी मंदिर में नजर नहीं आता। क्योंकि लंगूर बनने की प्रक्रिया इसी मंदिर में होती है। माता-पिता अपने बच्चों को लंगूर बनाने के लिए प्रात: सूर्य उदय होने से पहले ही तीर्थ परिसर में पहुंचने लग पड़े थे। लंगूर के वस्त्र पहनाने से पहले माता-पिता ने अपने बच्चों को दूध व दही के साथ श्री दुग्र्याणा तीर्थ के पवित्र सरोवर में स्नान करवाया। सुबह चार बजे से पहले ही श्री दुर्गयाणा तीर्थ परिसर में भक्तजनों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई। करीब पांच हजार बच्चे बने लंगूर

श्री बड़ा हनुमान मंदिर में मन्नत पूरी करने आए परिवारों का मानना था कि यह संतान इस सिद्धपीठ से प्राप्त हुई है। अपनी लड़की सांझ को लंगूर बनाने आई ममता निवासी नवां कोट ने बताया कि उसके घर 15 वर्षो के बाद दूसरी लड़की पैदा हुई थी। उन्होने दरबार में मन्नत मांगी थी कि उनके घर जो भी दूसरी संतान होगी, उसको वह लंगूर बनाएंगे। अपनी लड़की को लंगूर बनाकर उन्हें काफी खुशी महसूस हो रही है।

छवि कुमार व मधू निवासी अठासी फुट रोड भी अपनी लड़की अंशिका को लंगूर बनाकर काफी प्रसन्न दिखाई दे रहे थे। विकास भाटिया व अनु भाटिया निवासी विजय नगर ने बताया कि वह अपनी ढाई वर्षीय लड़की रिधम को लंगूर बनाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि लड़के व लड़की में किसी तरह का कोई भेदभाव नही है। नवजोत सिंह व मंदीप कौर निवासी एयरपोर्ट रोड ने बताया कि वह अपने पुत्र मनोहर सिंह को लंगूर बनाने को लेकर काफी उत्साहित है। दीपक शर्मा व ज्योति शर्मा निवासी नेहरू कॉलोनी ने बताया कि उन्होंने काफी समय पहले तीर्थ में मन्नत मांगी थी कि वह अपने बच्चे को लंगूर बनाएंगे। इसलिए वह अपने बच्चे को लंगूर बनाने के लिए आए हैं। रेखा व प्रिस निवासी हाथी गेट ने बताया कि वह अपने बेटे संकित को प्रथम बार लंगूर बना रहे है। उनको यह रत्न दरबार से प्राप्त हुआ है। सत्यम व शिवम भी दोनो भाई लंगूर बनकर तीर्थ परिसर में नाचते हुए दिखाई दिए। इसी तरह अन्य भक्तजनों ने कहा कि इस दरबार से कोई भी भक्तजन सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इस बार करीब पांच हजार से अधिक करीब बच्चे लंगूर बने हैं जिसमें दिल्ली, अबोहर, जालंधर, लुधियाना, मुंबई, फिरोजपुर, गुरदासपुर, बटाला व अन्य कई शहरों से भी परिवार मन्नत पूरी पूरी करने पहुंचे। पंडितों ने की पूजा-अर्चना

श्री दुग्र्याणा तीर्थ परिसर में कमेटी द्वारा करीब 100 से अधिक पंडितों की ड्यूटियां लगाई गईं थीं। पंडितों द्वारा लंगूर बनने वाले बच्चों को वस्त्र पहनाने से पहले पूजा अर्चना की गई। पंडित चमन लाल भारद्वाज ने कहा कि बच्चों को लंगूर बनाने वाले परिवारों को वस्त्र पहनाने से पहले पूजा अर्चना की परंपरा है। इससे संकल्प लेकर श्री गणेश व नवग्रह की पूजा की जाती है। इसके बाद पवित्र सरोवर में स्नान करवाकर लंगूर वाले वस्त्रों को पहनाया जाता है।

श्री गिरिराज सेवा संघ के संजय मेहरा ने बताया कि मेले के दौरान सिद्धपीठ में 150 कार्यकर्ता सेवा निभा रहे है। लंगूर मेले के दौरान अब मंदिर के द्वारा प्रात: पांच बजे से सवा एक बजे तक, सांय तीन बजे से रात साढ़े दस बजे तक खुले रहेंगे। बजरंगी सेना ने भी टेका माथा शहर में सौ के करीब बनी बजरंगी सेना की टोलियों ने भी ढोल की थाप पर श्री बड़ा हनुमान मंदिर में माथा टेका। महंत मनोहर ने कहा कि बजरंगी सेना रोजाना तीर्थ में नतमस्तक होने आएगी और वह रोजाना घरों में भी जाएगी। श्री दुग्र्याणा कमेटी ने किए पूरे प्रबंध

कमेटी के प्रधान एडवोकेट रमेश शर्मा ने कहा कि सिद्धपीठ में कमेटी के प्रबंध मुकम्मल हैं। भक्तों के लिए सुबह, दोपहर व रात को लंगर की व्यवस्था है। भीड़ को नियंत्रण रखने के लिए सेवादारों की ड्यूटियां लगाई

हैं। पूरे तीर्थ में सीसीटीवी कैमरे लगाकर पूरी नजर रखी जा रही है। दस दिवसीय इस मेले में हर श्रद्धालु को सुविधा दी जा रही है।

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