कोरोना में रुका डीसी दफ्तर को हेरिटेज करने का काम

कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया के काम-काज प्रभावित हुए हैं वहीं बहुत सारे प्रोजेक्ट भी बीच में ही अटक गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 11:43 PM (IST) Updated:Thu, 09 Jul 2020 06:09 AM (IST)
कोरोना में रुका डीसी दफ्तर को हेरिटेज करने का काम
कोरोना में रुका डीसी दफ्तर को हेरिटेज करने का काम

हरीश शर्मा, अमृतसर

कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया के काम-काज प्रभावित हुए हैं, वहीं बहुत सारे प्रोजेक्ट भी बीच में ही अटक गए हैं। उन्हीं में से एक है कचहरी परिसर में पुराना डीसी दफ्तर, जोकि पांच साल पहले आग लगने के कारण पूरी तरह जर्जर हो गया था। अब इसे हृदय प्रोजेक्ट के अधीन हेरिटेज के तौर पर तैयार किया जा रहा था ताकि डीसी दफ्तर की इमारत विद्यार्थियों और पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहे।

इस इमारत में अब मशहूर आर्किटेक्ट भाई राम सिंह के नाम पर लाइब्रेरी तैयार की जाने वाली है। इमारत के ग्राउंड फ्लोर और फ्सर्ट फ्लोर पर लाइब्रेरी बनाई जानी है, जबकि इसी इमारत की एक साइड में कैफेटेरिया बनना है ताकि वहां से कुछ फंड भी आता रहे। यह पूरा प्रोजेक्ट करीब तीन साल पहले शुरू हुआ था, जिसका 80 प्रतिशत से ज्यादा का काम पूरा भी हो चुका है। मगर कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से काम को बीच में ही बंद करना पड़ गया था। प्रोजेक्ट पर खर्च होने हैं पांच करोड़ रुपये

इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें दो फ्लोर पर लाइब्रेरी, कैफेटेरिया, टूरिस्ट को आर्कषित करने के लिए पब्लिक आर्ट भी लगाया जा रहा है। साथ ही इमारत के सामने बने गार्डन को पूरी तरह से डवलप कर खूबसूरत फूलों से सजाया जाना है। उसमें लाइटिग की जानी है। इमारत में लगने वाले लाइटिग की सारी फिटिग विदेशी ही इस्तेमाल हो रही है, जिसमें ईटली, जापान और फ्रांस के ब्रांड शामिल हैं। भाई राम सिंह को पहचान देने के लिए बनेगी लाइब्रेरी

इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम कर रही ह्रदय सिटी एंकर आर्केटेक्ट गुरमीत राय ने बताया कि शहर में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि आर्केटेक्ट भाई राम सिंह कौन थे। उनके बारे में हर किसी को जानकारी होनी जरूरी है। इसलिए उन्हीं के नाम पर लाइब्रेरी बनाई जा रही है। भाई राम सिंह ने ही खालसा कालेज जैसी इतिहासिक इमारत को डिजाइन किया था। इसके अलावा शहर में बहुत सारी हेरिटेज जगह हैं, जिन्हें भाई राम सिंह ने डिजाइन किया था। इनमें हाल गेट स्थित आइटीआइ, सारागाड़ी गुरुद्वारा भी शामिल है। इस इमारत को भी करीब 150 साल पहले अंग्रेजों ने ही तैयार करवाया था और भाई राम सिंह ने ही इसे भी डिजाइन किया था।

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