¨कग मॉस्किटो ने किया प्रहार, सेहत विभाग के पास नहीं हथियार

अमृतसर डेंगू रोग की उत्पत्ति का कारक 'एडीज इंजिप्टी'यानी ¨कग मॉस्किटो ने शक्तिशाली ढंग से इंसानों पर प्रहार किया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 12:54 AM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 12:54 AM (IST)
¨कग मॉस्किटो ने किया प्रहार, सेहत विभाग के पास नहीं हथियार
¨कग मॉस्किटो ने किया प्रहार, सेहत विभाग के पास नहीं हथियार

नितिन धीमान, अमृतसर

डेंगू रोग की उत्पत्ति का कारक 'एडीज इंजिप्टी'यानी ¨कग मॉस्किटो ने शक्तिशाली ढंग से इंसानों पर प्रहार किया है। मौसम में बदलाव के साथ ही इस मच्छर के पर निकल आए हैं। चुपके से वार करने वाला यह मच्छर इतना खतरनाक है कि एक बार काटने मात्र से ही इंसान को मृत्यु तक पहुंचा सकता है। डेंगू रोग बांटने वाले इस मच्छर को मौत के घाट उतारने में नगर निगम विफल रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग भी खामोश बैठा है।

दरअसल, इस सीजन में नगर निगम ने शहर में मच्छर मार दवा का छिड़काव नहीं किया। इस वजह से ¨कग मॉस्किटो तेजी से पनपा है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों में एफ्रेसिस किट्स की व्यवस्था नहीं की। ऐसे में संदिग्ध बुखार से पीड़ित मरीज उपचार से वंचित हैं।

अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में संदिग्ध बुखार से पीड़ित लगभग दो दर्जन मरीज एडमिट हैं। ये वो मरीज हैं जिन्होंने निजी लेबोरेट्री से रेपिड कार्ड टेस्ट करवाया और इसमें डेंगू की पुष्टि हुई। हालांकि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर रेपिड कार्ड टेस्ट को अस्वीकृत करते हुए मरीजों का एलाइजा टेस्ट करवा रहे हैं। एलाइजा की रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि ये मरीज डेंगू पॉजिटिव हैं अथवा साधारण बुखार से। एफ्रेसिस किट्स के बगैर नहीं हो सकता पूरा इलाज

डेंगू मच्छर के काटने पर इंसान के रक्त में प्लेट्लेट्स की संख्या में अप्रत्याशित ढंग से कमी आती है। गुरुनानक देव अस्पताल में ऐसे सात मरीज दाखिल हैं जिनके रक्त में प्लेट्लेट्स की मात्रा 20,000 तक पहुंच चुकी है। इन मरीजों को प्लेट्लेट्स की जरूरत है और सरकारी अस्पताल में किट न होने के कारण इन्हें निजी अस्पताल में रैफर किया जा रहा है। मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने के लिए एक एफ्रेसिस किट की अनिवार्यता रहती है। मरीज व डोनर को एफ्रेसिस मशीन के इर्द-गिर्द लिटाकर एफ्रेसिस किट के जरिए डोनर के प्लेट्लेस निकालकर सीधे मरीज के शरीर तक पहुंचाए जाते हैं। अब जबकि स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों में किट नहीं भेजी, इसलिए मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं दिए जा रहे।

निजी अस्पतालों में 20 हजार मूल्य

निजी अस्पतालों में एक एफ्रेसिस किट का मूल्य 20 हजार रुपये है, जबकि स्वास्थ्य विभाग महज 6500 रुपये में यह किट उपलब्ध करवाता रहा है। इस बार डेंगू सीजन की शुरूआत के बावजूद किट नहीं मिलीं। ऐसे में मरीजों को निजी अस्पतालों अथवा मेडिकल स्टोर्स में महंगे दाम पर किट खरीदनी पड़ रही है।

मच्छर ने 100 लोगों को चढ़ाया बुखार

डेंगू मच्छर ने इस सीजन मे 100 से अधिक लोगों को बुखार चढ़ाया है। हालांकि इनमें से ज्यादा मरीज दूसरे जिलों से संबंधित हैं, लेकिन इनका उपचार अमृतसर के सरकारी अस्पतालों में चल रहा है। दूसरी तरफ निजी अस्पतालों में कितने मरीज दाखिल हैं, इसका सही-सही विवरण स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंच रहा।

जन औषधि में उपलब्ध करवा रहे हैं किट : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. हरदीप ¨सह घई ने कहा कि डेंगू किट्स जन औषधि में उपलब्ध करवाई जा रही हैं। आगामी एक दो दिनों में ये किट्स वाजिब दाम पर उपलब्ध होगी।

डेंगू के लक्षण

- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार होना।

- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।

- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना।

- ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना।

- गले में हल्का-सा दर्द होना।

- चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना

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