डेंगू का कहर जारी, सरकारी अस्पतालों में नहीं कोई तैयारी

। पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को जख्म दे चुके डेंगू मछर के खात्मे के लिए नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग ने सामूहिक प्रयास शुरू कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 12:01 AM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 12:01 AM (IST)
डेंगू का कहर जारी, सरकारी अस्पतालों में नहीं कोई तैयारी
डेंगू का कहर जारी, सरकारी अस्पतालों में नहीं कोई तैयारी

नितिन धीमान, अमृतसर

पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को 'जख्म' दे चुके डेंगू मच्छर के खात्मे के लिए नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग ने सामूहिक प्रयास शुरू कर दिए हैं। नगर निगम देर से ही दुरुस्त होकर काम करने में जुट गया है। दूसरी तरफ चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विभागों स्वास्थ्य विभाग एवं मेडिकल शिक्षा तथा खोज विभाग द्वारा संचालित जिले के दो सरकारी अस्पतालों गुरु नानक देव अस्पताल एवं सिविल अस्पताल में डेंगू रोग का उपचार करने में प्रयुक्त होने वाली एफ्रेसिस मशीनें खराब हैं। यह स्थिति तब है जब डेंगू पॉजिटिव मरीजों की संख्या 100 के पार हो गई है और संदिग्ध बुखार से तड़प रहे मरीजों का आंकड़ा 400 तक जा पहुंचा है। जिले में संदिग्ध बुखार से पीड़ित छह लोगों की जान भी जा चुकी है।

दरअसल, पंजाब के प्रमुख चिकित्सा संस्थान गुरु नानक देव अस्पताल में सिगल डोनर प्लेट्लेट्स मशीन चार वर्षों से बंद है। यह मशीन ब्लड बैंक में स्थापित की गई है। मशीन बिल्कुल ठीक है, पर इसे ऑन करने के लिए लगाया गया इनवर्टर खराब है। अस्पताल प्रशासन ने इनवर्टर को ठीक करवाने की पहल तो दूर, इस विषय में सोचा तक नहीं। इस अस्पताल में संदिग्ध बुखार से पीड़ित दर्जन भर मरीज हैं। हाल ही में दो मरीजों को प्लेट्लेट्स की जरूरत पड़ी तो डॉक्टरों ने इन्हें निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया।

ठीक इसी प्रकार सिविल अस्पताल में 2010 में आई एफ्रेसिस मशीन अब हाथी के दांतों के समान है। इस मशीन का एक पुर्जा दो वर्षों से खराब है। अस्पताल प्रशासन ने एक निजी कंपनी को इस मशीन को दुरुस्त करने को लिखा, पर मशीन ठीक नहीं हो पाई। यह मशीन भी ब्लड बैंक की शोभा बढ़ा रही है।

क्या है एफ्रेसिस मशीन

एफ्रेसिस मशीन डेंगू मरीजों के लिए जीवनदायी मानी गई है। डेंगू मरीज के प्लेट्लेट्स कम होने पर इसी मशीन के जरिए चढ़ाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर यह मशीन रक्तदाता के खून से प्लेट्लेट्स अलग करती हैं और डेंगू मरीज के शरीर तक पहुंचाती है। रक्तदाता का रक्त पुन: उसके शरीर में भेज देती है। डेंगू मरीज के शरीर में 15 से 15 हजार प्लेट्लेट्स रहने पर इस मशीन की जरूरत पड़ती है। निजी अस्पतालों में इस मशीन के जरिए प्लेट्लेट्स सेल चढ़ाने के लिए 15000 रुपये लिए जाते हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह प्रक्रिया 8000 रुपये में की जाती है। बाक्स:

डेंगू मच्छर ने एडीसी हिमांशु अग्रवाल व उनकी माता, एसएचओ शिवदर्शन तथा उनकी पत्नी एवं बेटी को डेंगू पॉजिटिव बनाया था। इसके बाद नगर निगम प्रशासन भी शहर में सक्रियता दिखाने लगा है। फोटो —

सरकारी अस्पतालों में उपचार संभव नहीं: मठारू

श्री गुरु रामदास ब्लड डोनेशन सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष सुखविदर सिंह मठारू का कहना है कि एफ्रेसिस मशीनें बंद होने से यह साफ है कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों का उपचार संभव नहीं।

मशीन ठीक करवाने के लिए बातचीत चल रही है: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. हरदीप सिंह घई ने कहा कि मशीन ठीक करवाने के लिए निजी कंपनी से बातचीत चल रही है। जल्द ही कंपनी का तकनीकी विग मशीन ठीक कर देगा।

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