राहुल के दौर में उभरे कांग्रेस के युवा चेहरे विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी को कर रहे बॉय-बॉय

राहुल गांधी की टीम के चेहरे के तौर पर सूबों की सियासत में उभरे आधा दर्जन से अधिक बड़े नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 05 Oct 2019 08:17 PM (IST) Updated:Sat, 05 Oct 2019 08:17 PM (IST)
राहुल के दौर में उभरे कांग्रेस के युवा चेहरे विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी को कर रहे बॉय-बॉय
राहुल के दौर में उभरे कांग्रेस के युवा चेहरे विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी को कर रहे बॉय-बॉय

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस की राजनीतिक चुनौतियां हैं कि थमने का नाम नहीं ले रहीं और नेतृत्व अपने नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला थामने में असहाय दिख रहा। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर का पार्टी छोड़ना इस बात का ताजा उदाहरण है कि राहुल गांधी की छत्रछाया में उभरे तमाम नेता अपना सियासी भविष्य कांग्रेस से बाहर देखने लगे हैं। बीते कुछ समय के अंदर ही राहुल गांधी की टीम के चेहरे के तौर पर सूबों की सियासत में उभरे आधा दर्जन से अधिक बड़े नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। इनमें चार तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके चेहरे हैं।

टीम राहुल के चेहरों ने छोड़ी कांग्रेस

बिहार में अशोक चौधरी से लेकर त्रिपुरा में प्रद्योत देव बर्मन हों या झारखंड में डॉ. अजय कुमार से लेकर हरियाणा में अशोक तंवर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे टीम राहुल के चेहरों ने ही पार्टी छोड़ दी है। अशोक चौधरी के अलावा कांग्रेस छोड़ने वाले इन प्रमुख चेहरों ने राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पार्टी की अंदरूनी सियासत में आए बदलावों को इसकी वजह बताया है।

नया सियासी ठिकाना ढूंढ़ने की तैयारी

चाहे अशोक तंवर हों या अभी दो हफ्ते पहले ही त्रिपुरा कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले प्रद्योत देवबर्मन दोनों का यही कहना है कि राहुल के पद छोड़ने के बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेता युवा नेताओं को ठिकाने लगा रहे हैं। इसी दलील के साथ देवबर्मन ने कांग्रेस छोड़ अपना नया सियासी ठिकाना ढूंढ़ने के इरादे साफ कर दिए थे। देवबर्मन भाजपा में शामिल होने की तैयारी में हैं और माना जा रहा कि अब अशोक तंवर भी उसी राह पर हैं।

सोनिया के आते ही तंवर की विदाई

कांग्रेस में राहुल गांधी के दौर में उभरने वाले चेहरों में शामिल तंवर पार्टी छोड़ने वाले पहले नेता हैं और जिस तरह अभी कई नेता असंतोष का बिगुल बजा रहे उसे देखते हुए कांग्रेस में राहुल गांधी का दौर उनके उपाध्यक्ष बनने से पहले ही 2013 में ही शुरू हो गया था और इसी दरम्यान तंवर को हरियाणा की कमान सौंपी गई। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लाख प्रयासों के बावजूद राहुल ने तंवर को नहीं हटाया मगर सोनिया गांधी के दुबारा अध्यक्ष बनते ही तंवर की विदाई हो गई।

कांग्रेस के युवा चेहरे पार्टी को कर रहे बॉय-बॉय

त्रिपुरा में युवा चेहरे के सहारे सियासी वापसी के लिए राहुल ने प्रद्योत को अध्यक्ष बनाया मगर उन्होंने भी इस्तीफा देकर पार्टी छोड़ना तय कर लिया है। झारखंड में पुराने धुरंधर चेहरों को किनारे कर डॉ. अजय कुमार को राहुल ने अध्यक्ष बनाया, लेकिन पिछले महीने ही उन्होंने भी कांग्रेस को बॉय-बॉय कर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।

अल्पेश ठाकुर ने कांग्रेस की टोपी उतारकर भाजपा का पटका पहन लिया

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के प्रयासों से अल्पेश ठाकुर कांग्रेस में आए तो उनको पार्टी ने सिर आंखों पर बिठाया। टिकट देकर विधायक बनाया फिर कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव बनाकर बिहार जैसे सूबे का प्रभार दिया गया, लेकिन टीम राहुल का यह सियासी खिलाड़ी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की टोपी उतारकर भाजपा का पटका पहन लिया।

वैसे कांग्रेस के लिए यह बात भी कम चिंता की नहीं कि जिन्हें पार्टी नेतृत्व ने तवज्जो दिया वे पार्टी के संकट के दौर में दूसरे सियासी नाव में कूदने में सबसे आगे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता इसका उदाहरण देते हुए बिहार में अशोक चौधरी के प्रकरण की याद दिलाना नहीं भूल रहे जिन्हें राहुल गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाया। लेकिन जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए तो अशोक चौधरी चार विधायकों समेत जदयू में चले गए।

कांग्रेस का सियासी संकट

गांधी परिवार के निकट मानी जाने वाली उत्तर प्रदेश की विधायक अदिति सिंह के बदलते राजनीतिक मिजाज हों या महाराष्ट्र में संजय निरूपम के बगावती सुर इन सभी का सार यही है कि कांग्रेस का सियासी संकट कहीं ज्यादा गंभीर है।

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