सीबीआइ में घमासानः अफसरों की एसआइटी जांच पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआइ के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से कराने की मांग करने वाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने पर वह विचार करेगा।

By Vikas JangraEdited By: Publish:Thu, 25 Oct 2018 10:38 PM (IST) Updated:Fri, 26 Oct 2018 12:42 AM (IST)
सीबीआइ में घमासानः अफसरों की एसआइटी जांच पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
सीबीआइ में घमासानः अफसरों की एसआइटी जांच पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

नई दिल्ली [प्रेट्र]। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से कराने की मांग करने वाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने पर वह विचार करेगा। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारियों में जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना भी शामिल हैं। अस्थाना को भी उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने गुरुवार को गैर सरकारी संगठन 'कामन काज' के वकील प्रशांत भूषण के इस कथन पर विचार किया कि भ्रष्टाचार के व्यापक मुद्दे जांच एजेंसी को प्रभावित कर रहे हैं और इसलिए जनहित याचिका पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है।

पीठ ने प्रशांत भूषण को इस मामले में सारा विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए कहा कि इस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए विचार किया जाएगा। इस गैर सरकारी संगठन ने अस्थाना सहित जांच ब्यूरो के कई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से कराने का अनुरोध किया है। अस्थाना को जांच ब्यूरो के मुखिया आलोक कुमार वर्मा के साथ सभी अधिकारों से वंचित करके अवकाश पर भेजा गया है।

जांच ब्यूरो के निदेशक और अस्थाना के बीच छिड़ी अप्रत्याशित जंग बुधवार को शीर्ष अदालत में पहुंच गई थी। शीर्ष अदालत इस मामले में आलोक कुमार वर्मा की याचिका पर 26 अक्टूबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी। आलोक कुमार वर्मा ने खुद को जांच एजेंसी के मुखिया के अधिकारों से मुक्त करने और अवकाश पर भेजने के सरकार के निर्णय को चुनौती दी है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा के 1986 बैच के अधिकारी और जांच ब्यूरो में संयुक्त निदेशक एम.नागेश्वर राव को सारी जिम्मेदारी सौंपने के निर्णय को भी चुनौती दी है।

पांच करोड़ की रिश्वत का आरोप:
वर्मा और अस्थाना के बीच चल रहे गतिरोध की परिणति हाल ही में अस्थाना और ब्यूरो में पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के रूप में हुई। देवेंद्र कुमार इस समय जांच ब्यूरो की हिरासत में हैं। यह प्राथमिकी 15 अक्टूबर को सतीश बाबू सना की लिखित शिकायत के आधार पर दर्ज की गई। इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मामले की जांच करने वाले अधिकारी देवेंद्र कुमार बार-बार उसे जांच ब्यूरो के कार्यालय में बुलाकर परेशान कर रहे थे और क्लीनचिट देने के लिए पांच करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।

एफआइआर को चुनौती :
अस्थाना और आलोक कुमार वर्मा दोनों ने ही इस प्राथमिकी को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है। हाईकोर्ट ने मंगलवार को अस्थाना के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसके बाद ही मंगलवार की रात में केंद्र, केंद्रीय सतर्कता आयोग और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और जांच ब्यूरो के निदेशक और विशेष निदेशक दोनों को ही उनके समस्त अधिकारों से मुक्त करने के साथ ही अवकाश पर भेजने का फैसला लिया।

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