अयोध्या अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य मामले के साथ होगा विचार

केन्द्र सरकार ने 1993 में कानून के जरिये अयोध्या में विवादित भूमि सहित कुल 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 08:51 PM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 08:53 PM (IST)
अयोध्या अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य मामले के साथ होगा विचार
अयोध्या अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य मामले के साथ होगा विचार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून 1993 को नये सिरे से चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य मामले के साथ सुनवाई करेगा। शुक्रवार को कोर्ट ने नयी याचिका को अयोध्या राम जन्मभूमि के मालिकाना हक विवाद की लंबित अपीलों की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने लगाने का आदेश दिया। यह याचिका लगभग एक पखवाड़े पहले सरकार की ओर से दी गई उस याचिका से अलग है जिसमें सरकार ने अधिग्रहित अतिरिक्त जमीन मूल भूस्वामियों को वापस करने की इजाजत मांगी है।

केन्द्र सरकार ने 1993 में कानून के जरिये अयोध्या में विवादित भूमि सहित कुल 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में इस्माइल फारुखी केस में इस अधिग्रहण को वैध ठहराया था। हालांकि कोर्ट के आदेश से फिलहाल वहां यथास्थिति कायम है। कुछ दिन पहले ही केन्द्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर अधिग्रहित भूमि में से विवादित भूमि को छोड़ कर बाकी भूमि मूल भूस्वामियों को वापस करने की इजाजत मांगी थी। इस बीच स्वयं को राम भक्त और सनातन धर्म अनुयायी बताने वाले शिशिर चतुर्वेदी और छह अन्य ने यह नयी रिट याचिका दाखिल की है जिसमें नये सिरे से अयोध्या भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी गई है।

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ ने नई याचिका को भी संविधान पीठ के सामने लगाने का आदेश दिया तो मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने याचिका का विरोध किया। धवन ने कहा कि यह याचिका एक प्रकार से इस्माइल फारुखी फैसले का रिव्यू है। उस फैसले में कोर्ट अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को वैध ठहरा चुका है। 27 साल बाद उस पर पुनर्विचार नहीं हो सकता। उनकी दलील पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह अभी सिर्फ इस मामले को मुख्य मामले के साथ लगाने का आदेश दे रहें हैं। इस पर तभी सुनवाई होगी।

नयी याचिका मे अयोध्या अधिग्रहण को चुनौती देते हुए कहा गया है कि संसद को राज्य की जमीन के अधिग्रहण के बारे में कानून पास करने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा गया है कि यह कानून हिन्दुओं को अनुच्छेद 25 में प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। मांग की गई है कि कोर्ट केन्द्र व उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे कि वह अधिगृहित जमीन पर स्थित मंदिरों विशेषकर राम जन्मभूमि न्यास, मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, राम जन्मस्थान मंदिर, जानकी महल और कथा मंडप में स्थिति मंदिरों में पूजा दर्शन व रीतिरिवाज करने से न रोके।

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