Rajasthan Political Crisis: पायलट ने कांग्रेस विधायक मलिंगा को भेजा नोटिस, हाई कोर्ट से बागी विधायकों को राहत

राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। बागी विधायकों के याचिका फैसला 24 जुलाई को आएगा।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 22 Jul 2020 12:50 AM (IST) Updated:Wed, 22 Jul 2020 12:50 AM (IST)
Rajasthan Political Crisis: पायलट ने कांग्रेस विधायक मलिंगा को भेजा नोटिस, हाई कोर्ट से बागी विधायकों को राहत
Rajasthan Political Crisis: पायलट ने कांग्रेस विधायक मलिंगा को भेजा नोटिस, हाई कोर्ट से बागी विधायकों को राहत

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। मलिंगा ने सोमवार को जयपुर में मीडिया कर्मियों से कहा था कि सचिन पायलट ने भाजपा में जाने के लिए 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। पायलट ने यह पेशकश दो बार की, लेकिन मैंने मना कर दिया। मलिंगा के मुताबिक उन्होंने कहा था कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे। इस पर मंगलवार को पायलट ने मलिंगा को कानूनी नोटिस भेजा है। पायलट का कहना है कि मलिंगा ने असत्य बात कही है। मलिंगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के हैं।

इससे पहले आज दिन में राजस्थान हाई कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को जारी कारण बताओ नोटिस पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा। तब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई कार्रवाई नहीं करें। इसे पायलट खेमे के लिए राहत माना जा रहा है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने खूब जिरह की। सचिन पायलट खेमे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की, तो स्पीकर की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं।

आखिर स्पीकर इतनी जल्दी में क्यों थे?- साल्वे

साल्वे का कहना था कि स्पीकर ने विधायकों को जवाब देने के लिए तीन दिन का ही समय दिया, जबकि सात दिन दिया जाना चाहिए था। आखिर वे इतनी जल्दी में क्यों थे? नोटिस जारी करने के लिए कोई ठोस कारण नहीं है। इसमें वही सब लिखा गया जो शिकायतकर्ता की शिकायत में था। उन्होंने कहा कि दलबदल कानून इसलिए बनाया गया था, जिससे कोई पार्टी नहीं बदल सके। हाईकोर्ट की शक्तियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट इस मामले में सुनने का अधिकार है। अब तक बसपा के विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर ही कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, अभिषषेक मनु सिंघवी ने स्पीकर का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट को दखल देने की जरूरत नहीं है, इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। सिंघवी ने तर्क दिया कि अभिव्यक्ति के अधिकार का मलतब कुछ भी करने की स्वतंत्रता नहीं है। संविधान ने विधानसभा संचालन का अधिकार स्पीकर को दिया है। यह नियम संविधान का हिस्सा है कि स्पीकर के पास विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है, जिसकी कोर्ट में समीक्षा नहीं हो सकती।

स्पीकर ने भी जवाब देने के लिए समय 24 जुलाई तक बढ़ाया

हाई कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने वरिष्ठ वकीलों से चर्चा के बाद नोटिस का जवाब देने का समय 24 जुलाई तक बढ़ा दिया। पहले मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक जवाब देने का समय दिया था। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे व प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी डॉ. जोशी से विधानसभा में मुलाकात की।

जोड़ तोड़ का समय मिलेगा

माना जा रहा है कि कोर्ट के तीन दिन बाद फैसला सुनाने से गहलोत और पायलट खेमों को जोड़ तोड़ के लिए समय मिलेगा। इस दौरान गहलोत बागी विधायकों को तोड़ने का प्रयास करेंगे। वह विधानसभा सत्र भी बुला सकते हैं। तब व्हिप जारी किया जाएगा, जिसका उल्लंघन कर सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है। सत्र बुलाए जाने पर बागी विधायकों को सदन में आना पड़ेगा। वहीं, पायलट को कांग्रेस आलाकमान में अपने शुभचितकों के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा।

इस तरह चला घटनाक्रम

मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पायलट समेत 19 विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों नहीं आपको विधानसभा से अयोग्य घोषिषत कर दिया जाए। इस नोटिस के खिलाफ गुरवार को पायलट समेत 19 विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसी दिन सुनवाई हुई। सुनवाई को अमेंडमेंट की कॉपी नहीं होने पर 15 मिनट में ही टाल दिया गया था, फिर 5 बजे मामला डिविजन बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया। रात 8 बजे मामला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया। शुक्रवार को दोपहर बाद 1 बजे शुरू हुई सुनवाई शाम करीब 4.30 बजे तक चली। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 20 जुलाई तक टालते हुए कहा कि स्पीकर नोटिस पर मंगलवार शाम 5 बजे तक कोई एक्शन न लें। सोमवार को फिर शुरू हुई सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें रखीं। कोर्ट ने सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी।

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