महज 16 साल की उम्र में दिया था प्रियंका ने अपना पहला भाषण, पार्टी के लिए है ब्रह्मास्‍त्र

बात 1988 की है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के चार साल बीत चुके थे, तभी एक मंच पर लोगों ने पहली बार प्रियंका को देखा। 16 साल की प्रियंका का यह पहला सार्वजनिक भाषण था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 24 Jan 2019 09:49 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jan 2019 09:58 AM (IST)
महज 16 साल की उम्र में दिया था प्रियंका ने अपना पहला भाषण, पार्टी के लिए है ब्रह्मास्‍त्र
महज 16 साल की उम्र में दिया था प्रियंका ने अपना पहला भाषण, पार्टी के लिए है ब्रह्मास्‍त्र

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बात 1988 की है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के चार साल बीत चुके थे, तभी एक मंच पर लोगों ने पहली बार प्रियंका को देखा। 16 साल की प्रियंका का यह पहला सार्वजनिक भाषण था। इस भाषण के 31 साल बाद तक कांग्रेस समर्थक पार्टी को उबारने के लिए जिस संजीवनी की मांग करते रहे हैं, वो अब पूरी हो गई है। प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में पदार्पण हो चुका है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाकर पार्टी ने तुरुप का इक्का चल दिया है।

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उन्हें उत्तर प्रदेश के उन इलाकों की जिम्मेदारी मिली हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र पड़ते हैं और कांग्रेस यहां मृतप्राय है। ऐसे में प्रियंका के लिए सब कुछ बहुत आसान नहीं रहने वाला है, लेकिन इंदिरा गांधी के करिश्माई व्यक्तित्व को लेकर जब उनकी तुलना होने लगती है तो सारी चुनौतियां छोटी पड़ने लगती है और उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने-समझने की इच्छा होती है।

राहुल गांधी से दो साल छोटी

12 जनवरी 1972 को जन्मीं प्रियंका गांधी भाई राहुल गांधी से दो साल छोटी हैं। दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से पढ़ाई की। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल के साथ घर पर ही पढ़ाई जारी रही। दिल्ली विश्वविद्यालय के जीजस एंड मैरी कॉलेज से मनोविज्ञान में डिग्री हासिल की। 2010 में बौद्धिस्ट स्टडीज में मास्टर्स डिग्री की।

रॉबर्ट वाड्रा से मुलाकात

प्रियंका की अपने पति रॉबर्ट वाड्रा से 13 साल की उम्र में मुलाकात हुई। रॉबर्ट वाड्रा के पिता का नाम राजेंद्र वाड्रा तथा मां का नाम मॉरीन वाड्रा है, जो कि मूल रूप से स्कॉटिश हैं। उनका जन्ममुरादाबाद में हुआ। कारोबारी रॉबर्ट ने दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में पढ़ाई की। 1997 में दोनों ने शादी की। इनके दो बच्चे बेटा रिहान और बेटी मिराया हैं।

विरासत में मिली राजनीति

प्रियंका गांधी वाड्रा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मुखिया सोनिया गांधी की दूसरी संतान और राहुल गांधी की छोटी बहन हैं। वह देश की इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पोती और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की प्रपौत्री हैं।

प्रियंका ‘भइया’

अमेठी और रायबरेली में राहुल की तरह ही प्रियंका को भी लोग भइया पुकारते थे। बाद में उन्हें भइयाजी कहा जाने लगा। दरअसल बचपन से ही इनके छोटे बालों के चलते लोग ऐसा कहते थे।

इंदिरा गांधी से तुलना

चेहरा, हेयर स्टाइल, बात करने का तरीका और साड़ियां पहनने का सलीका इंदिरा गांधी से मिलता-जुलता है।

दादी की तरह मजबूत छवि और पिता की तरह जनता से सीधे संवाद करने की खासियत उन्हें गांधी परिवार में सबसे लोकप्रिय बनाती है।

2004 में चुनावी प्रचार में उतरीं

‘24 अकबर रोड’ किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के मुताबिक साल 2004 के आम चुनाव के समय पार्टी ने एक प्रोफेशनल एजेंसी की सेवाएं लीं जिसने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया कि वह अकेले बीजेपी के बड़े नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को टक्कर नहीं दे सकतीं। इसके बाद ही राहुल गांधी ब्रिटेन में अपनी नौकरी छोड़कर सक्रिय राजनीति में आए और इसी साल प्रियंका गांधी को भी चुनावी प्रचार में उतारा गया।

यूं बीतता है दिन

जब उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहती हैं तो उनका दिन सुबह छह बजे शुरू होता है। ट्रेडमिल पर मशक्कत और योग करना पसंद करती हैं। दौरे पर रोटी या परांठे के साथ सब्जी और दाल खाना पसंद करती हैं। साथ में आम/नींबू के अचार भी बड़े चाव से खाती हैं।

शौक हिन्दी साहित्य में भी गहरी रुचि है। खाली समय मिलने पर हिंदी कविताएं और कहानियां पढ़ना पसंद है। प्रियंका शौकिया तौर पर रेडियो संचालक (रेडियो जॉकी) का काम करना पसंद करती हैं। फोटोग्राफी और खाना बनाना पसंद है। बच्चों के लिए वह खुद खाना बनाती हैं।

इंदिरा की इच्छा

कांग्रेस के दिग्गज नेता एम एल फोतेदार ने एक बार कहा था कि साल 1984 में इंदिरा गांधी ने अपने निधन से पहले इच्छा व्यक्त की थी कि परिवार की राजनीतिक विरासत को उनके बाद प्रियंका गांधी आगे ले जाए। उस समय प्रियंका 12 साल की थीं।

निजी रखती हैं जिंदगी

सख्त अनुशासक मानी जाने वाली प्रियंका बौद्ध धर्म में आस्था रखती हैं। निजी जिंदगी गोपनीय रखती हैं।

नलिनी से की मुलाकात

साल 1991 में 21 मई को चेन्नई के करीब श्रीपेरुमबुदूर में हुए आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या करने वाले पांच सदस्यीय दल की नलिनी सदस्य थी।

राजीव असेसिनेशन: हिडन ट्रूथ्स एंड प्रियंका-नलिनी मीटिंग नामक किताब में नलिनी ने प्रियंका गांधी के संग हुई मुलाकात की बातें विस्तार से लिखी हैं। किताब के मुताबिक नलिनी ने ख़ुद को निर्दोष साबित करने के लिए जरूरी सुबूत और कागजात प्रियंका गांधी को दिए थे और बताया था कि हत्या की साजिश रचने में वो और उसके पति शामिल नहीं थे। नलिनी ने लिखा है कि जब उन्होंने मौत की सजा का इंतजार कर रहे संतन और पेरारीवालन के बारे में बोलना शुरू किया तो प्रियंका को बहुत गुस्सा आ गया। नलिनी को यह अंदेशा नहीं था कि प्रियंका इस तरह गुस्सा हो जाएंगी या उनके जवाब से असंतुष्ट होंगी।

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