लोकसभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 हुआ पास

संसद के दोनों ही सदनों में हर दिन कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा शुरू हो जाता है। नायडू ने बुधवार को हंगामा कर रहे विपक्ष को समझाने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 20 Dec 2018 10:38 AM (IST) Updated:Thu, 20 Dec 2018 09:20 PM (IST)
लोकसभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 हुआ पास
लोकसभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 हुआ पास

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद में लंबे समय से विचाराधीन उपभोक्ता संरक्षण विधेयक आखिरकार बृहस्पतिवार को पारित कर दिया गया। उपभोक्ता हितों की जोरदार वकालत करने वाले इस विधेयक में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे उपभोक्ताओं के साथ ठगी करना आसान नहीं होगा। विधेयक में उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए कई सख्त उपाय किये गये हैं। इस विधेयक के राज्यसभा से पारित हो जाने के यह उपभोक्ता संरक्षण कानून-1986 का स्थान ले लेगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार की ओर से तीन तलाक विधेयक पेश किया गया। विधेयक पर चर्चा के लिए कांग्रेस सहमत हो गई। उनकी ओर से कहा गया कि इसे 27 दिसंबर को लोकसभा में पेशकर चर्चा कराई जाए।

सरकार इस पर सहमत हो गई। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस बिल पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे। हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।' उनके इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'खड़गे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है। मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो।'संसद में विधेयक पर हुई बहस के जवाब में केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री राम विलास पासवान ने पुराना कानून में पिछले तीन दशक में कोई संशोधन नहीं किया गया था।

उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए इस कानून को पर्याप्त रूप से मजबूत करने की जरूरत थी। संसद के दोनों सदनों में विधेयक के पारित हो जाने के बाद यह कानून जिला उपभोक्ता फोरम से लेकर राष्ट्रीय शिकायत निवारण आयोग तक में लागू हो जाएगा। विधेयक में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के गठन का अधिकार है।

इसमें उपभोक्ताओं के सामूहिक हितों का संरक्षण किया जा सकेगा। इस विधेयक पर होने वाली चर्चा के दौरान बीजेडी के तथागत सत्पथी ने कहा कि इससे तो नौकरशाहों को ज्यादा अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताकर इसके प्रावधानों की आलोचना की। इसके जवाब में पासवान ने संसद सदस्य की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया। इस चर्चा में एनसीपी, टीएमसी और जेडीयू के सदस्योंने हिस्सा लिया। 

chat bot
आपका साथी