उमर और महबूबा के बीच ट्विटर पर तकरार, कश्मीरी लड़कों के आतंकी बनने को रोजगार से जोड़ने पर बहस

कश्मीर में युवाओं के आतंकी बनने के कारणों पर मंगलवार को राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच ट्वीटर पर तकरार हो गई।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Wed, 09 Jan 2019 08:02 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jan 2019 08:02 AM (IST)
उमर और महबूबा के बीच ट्विटर पर तकरार, कश्मीरी लड़कों के आतंकी बनने को रोजगार से जोड़ने पर बहस
उमर और महबूबा के बीच ट्विटर पर तकरार, कश्मीरी लड़कों के आतंकी बनने को रोजगार से जोड़ने पर बहस

जम्मू, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में युवाओं के आतंकी बनने के कारणों पर मंगलवार को राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच ट्वीटर पर तकरार हो गई। उमर ने इस मुद्दे पर सफाई देने के साथ ही एक न्यूज एजेंसी को भी ताकीद कर दी कि अगर वह उनके भाषण को सही तरीके से नहीं समझ सकती या पेश कर सकती तो उनके समारोहों व कार्यक्रमों से दूर रहे।

दरअसल, जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस की युवा इकाई का सम्मेलन था, जिसमें उमर ने अपने भाषण के दौरान कश्मीर में युवाओं के आतंकी बनने पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह हताश हैं, उसके पास करने को कुछ नहीं है। केंद्र और पूर्व राज्य सरकार की नीतियों से हताश होकर वह बंदूक थाम रहा है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उमर के इस भाषण पर पीटीआइ की एक खबर का हवाला देते हुए ट्विटर पर लिखा कश्मीर एक सियासी मसला है, जो बातचीत और सुलह से हल होगा। इस मसले व कश्मीरी लड़कों के आतंकी बनने को रोजगार की कमी के साथ जोड़ना, उन हजारों कश्मीरियों का अपमान है, जिन्होंने बीते तीन दशकों में अपनी जान दी है।

उमर ने भी इस मामले का संज्ञान लिया और ट्विटर पर लिखा कि डियर पीटीआइ, कृपया अपनी खबर वापस लो। मैंने सम्मेलन में जो कहा, आपने उसे पूरी तरह गलत तरीके से पेश किया और लिखा है। मैंने किसी भी जगह कश्मीर में आतंकवाद को बेरोजगारी से नहीं जोड़ा है।

इसके साथ ही उमर ने महबूबा को जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा कि मैंने पीटीआइ को पहले ही बता दिया है कि उसने मेरी बात को पूरी तरह गलत तरीके से लिखा है। खैर, एक बार फिर साफ कर देता हूं कि कश्मीर एक सियासी मसला है। इसका सियासी हल चाहिए। यह कोई रोजगार, पैसे या विकास का मामला नहीं है। इसे हल करने का रास्ता सिर्फ बातचीत ही है।

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