नए कानून में सबसे पहले कसेगा हाफिज सईद और मसूद अजहर पर शिकंजा

देश के आतंकवाद विरोधी कानून में प्रस्तावित संशोधनों के प्रभाव में आने के बाद हाफिज सईद और मसूद अजहर आतंकवादी घोषित किए जाने वाले पहले मोस्ट वांटेड होंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 26 Jul 2019 09:22 PM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2019 09:22 PM (IST)
नए कानून में सबसे पहले कसेगा हाफिज सईद और मसूद अजहर पर शिकंजा
नए कानून में सबसे पहले कसेगा हाफिज सईद और मसूद अजहर पर शिकंजा

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के आतंकवाद विरोधी कानून में प्रस्तावित संशोधनों के प्रभाव में आने के बाद हाफिज सईद और मसूद अजहर आतंकवादी घोषित किए जाने वाले पहले मोस्ट वांटेड होंगे। प्रस्तावित नए संशोधन अंतरराष्ट्रीय मानकों और संयुक्त राष्ट्र कनवेंशन के अनुसार होंगे। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

'गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन विधेयक-2019' को लोकसभा ने बुधवार को पारित कर दिया है। अब इसे चर्चा के लिए राज्यसभा में भेजने की तैयारी है। अगर इसे संसद की स्वीकृति मिल जाती है तो आतंकवादी घोषित किए जाने वाले की यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा और उनकी संपत्ति भी जब्त की जा सकेगी।

अधिकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय के अनुमोदन के बाद किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा। इस प्रकार घोषित किया गया आतंकवादी केंद्रीय गृह सचिव के समक्ष अपील कर सकेगा। वह इस पर 45 दिनों के भीतर फैसला करेंगे। एक कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति का गठन होगा, जिसमें भारत सरकार के कम से कम दो सेवानिवृत्त सचिव शामिल होंगे। आतंकवादी घोषित किए जाने के खिलाफ इन सदस्यों तक सीधे पहुंचा जा सकेगा। आतंकवादी घोषित होने के बाद सरकार उनकी संपत्ति को जब्त करने जैसे कदम उठा सकेगी।

एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित कानून के तहत क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इसका ब्योरा तभी आ सकेगा जब यह विधेयक संसद से पारित हो जाएगा। जिसे भी आतंकवादी घोषित करना है, उससे संबंधित आंकड़े दूसरे देशों की सरकारों से साझा किए जा सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि हाफिज सईद वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले का मास्टर माइंड है और मसूद अजहर वर्ष 2001 में संसद हमला व हालिया पुलवामा हमले का मुख्य साजिशकर्ता है।

15 वर्षो में 42 संगठन घोषित किए जा चुके हैं गैरकानूनी 
अधिकारी ने बताया कि बीते 15 वर्षो में 42 संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया गया। इनमें सिर्फ दीनदान अंजुमन ही ऐसा है, जिसने सरकार के फैसले के खिलाफ अपील की है। हालांकि, जब सरकार एक बार फिर अपने फैसले की पुष्टि कर देगी तो यह संगठन अदालत में चुनौती नहीं दे सकेगा।

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