भारत के साथ समग्र वार्ता कर चुके हैं पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री कुरैशी

जिस दिन वर्ष 2008 में मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था उस दिन कुरैशी भारत में ही थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 18 Aug 2018 09:40 PM (IST) Updated:Sun, 19 Aug 2018 12:08 AM (IST)
भारत के साथ समग्र वार्ता कर चुके हैं पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री कुरैशी
भारत के साथ समग्र वार्ता कर चुके हैं पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री कुरैशी

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कैबिनेट में विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाले शाह मेहमूद कुरैशी का नाम भारत के लिए नया नहीं है। इसके पहले भी वह वर्ष 2008-2011 तक पाकिस्तान के विदेश मंत्री रह चुके हैं और इस दौरान उन्होंने न सिर्फ दोनों देशों के बीच शुरु हुई समग्र वार्ता में पाकिस्तान की अगुवाई की थी बल्कि तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के साथ कई द्विपक्षीय वार्ता भी किये थे। पीपीपी के तत्कालीन मुखिया आसिफ अली जरदारी से मनमुटाव होने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। तब से वह इमरान खान से जुड़े हुए थे और उन्हें विदेश मामलों पर सुझाव दे रहे थे।

पाकिस्तान आम चुनाव में कुरैशी और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ को मिली जीत के बाद से ही भारतीय विदेश मंत्रालय में भी यह माना जा रहा था कि उन्हें नया विदेश मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान की नई सरकार या उसके नए विदेश मंत्री की भारत संबंधी नीति तय करने में कितनी चलती है। अभी भारत संबंधी पाकिस्तान की नीति पूरी तरह से वहां की सेना तय कर रही है। जहां तक बतौर विदेश मंत्री कुरैशी का पहले कार्यकाल का सवाल है तो वह काफी मिला जुला रहा था।

जिस दिन वर्ष 2008 में मुंबई पर आतंकी हमला हुआ था उस दिन कुरैशी भारत में ही थे। इसका जिक्र पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में भी की है। मुखर्जी तब भारत के विदेश मंत्री थे। मुखर्जी ने लिखा है कि जब उन्हें पता चला कि कुरैशी नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं तो उन्होंने तत्काल उनसे संपर्क साधा और कहा कि वह बगैर किसी देरी के पाकिस्तान लौट जाए। यही नहीं मुखर्जी ने उनसे यह भी कहा कि इसके लिए वह अपना आधिकारिक जहाज भी कुरैशी को देने को तैयार है। कुरैशी ने उनकी बात मानी और कुछ ही घंटों में वह पाकिस्तान लौट गये।

कुरैशी ने बाद में मुंबई हमले को लेकर अपना दुख भी जताया और कई बार भारत को जांच में मदद करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन असलियत में पाकिस्तान की तरफ से भारत को मुंबई हमले के दोषियों को पकड़ने में कोई मदद नहीं मिली।

कुरैशी का एक दूसरा पहलू भी है। वर्ष 2010 में भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के साथ इस्लामाबाद में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में बहुत ही आपत्तिजनक व्यवहार किया था। यह प्रेस कांफ्रेंस दोनो देशों के बीच हुई समग्र वार्ता के बाद आयोजित हुई थी। लेकिन प्रेस कांफ्रेंस में सार्वजनिक तौर पर कुरैशी ने भारतीय विदेश मंत्री के अधिकार को लेकर सवाल उठा दिए।

उन्होंने कहा कि भारतीय विदेश मंत्री ने कई बार वार्ता को बीच में रोक कर नई दिल्ली बात की, उन्हें पूरे अधिकार के साथ वार्ता के लिए नहीं भेजा गया था। सार्वजनिक तौर पर उनकी इस तरह की टिप्पणी को न सिर्फ बहुत असभ्य माना गया बल्कि तब भारत के सभी राजनीतिक दलों ने इसकी जोरदार भ‌र्त्सना की। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने उन्हें विदेश मंत्रालय के दूसरे दर्जे के सचिव के पद के योग्य भी नहीं होने की बात कही।

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