हाईकोर्ट में याचिका: कई राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू लेकिन समुदाय के अधिकारों से हैं वंचित
दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से आठ राज्यों में हिंदुओ को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के आदेश की जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है और जवाब की मांग की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में हिंदू अल्पसंख्यकों (Hindu Minority) के लिए दायर की गई एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी गई। दरअसल, याचिका में आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बताते हुए उनके लिए निर्धारित अधिकारों की मांग की गई है। मामले पर चार मई को सुनवाई की जाएगी।
गृह मंत्रालय को नोटिस
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर ने गृह मंत्रालय, कानून और न्याय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी किया और याचिका पर उनकी प्रतिक्रिया की मांग की।
अल्पसंख्यक हिंदू वाले आठ राज्य
भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में दावा किया कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब व मणिपुर में हिंदु समुदाय अल्पसंख्यकों में शामिल है।
क्या कहता है याचिका
याचिका में विभिन्न राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने की बात रखी गई लेकिन अन्य अल्पसंख्यकों द्वारा जिन अधिकारों का उपभोग किया जा रहा है उससे वंचित होने की बात कही गई है। इस याचिका में केंद्र से ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित करने की मांग की। इसके अलावा राज्य स्तर पर उनकी पहचान के लिए दिशानिर्देश जारी करने को कहा गया।
याचिका में मांग है कि राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक दर्जे का निर्धारण न हो। राज्य में उस समुदाय की जनसंख्या को देखते हुए नियम बनाने के आदेश दिए जाएं। अल्पसंख्यकों से जुड़े इस अध्यादेश को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया था याचिकाकर्ता का कहना था कि राष्ट्रीय स्तर पर हिंदू भले बहुसंख्यक हों लेकिन आठ राज्यों में वे अल्पसंख्यक हैं, इसलिए उन्हें इसका दर्जा दिया जाना चाहिए।
बता दें कि 26 साल पहले 23 अक्टूबर 1993 के अध्यादेश में पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक बताया गया था। इसे ही चुनौती दी गई।