Sachin pilot: सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई से दिल्ली-NCR के गुर्जर नाराज, कांग्रेस को लग सकता है झटका

Sachin Pilot News सचिन पायलट पर हुई कार्रवाई का असर दिल्ली-एनसीआर में कांग्रेस पार्टी पर पड़ सकता है।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 11:09 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 11:20 AM (IST)
Sachin pilot: सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई से दिल्ली-NCR के गुर्जर नाराज, कांग्रेस को लग सकता है झटका
Sachin pilot: सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई से दिल्ली-NCR के गुर्जर नाराज, कांग्रेस को लग सकता है झटका

नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। Sachin Pilot News :  क्षेत्रफल के लिहाज से देश के बड़े राज्यों में शुमार राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस ने बड़े फैसले के तहत सचिन पायलट के पर कतर दिए हैं। कांग्रेस के कुछ खास युवा चेहरों में से एक सचिन पायलट के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने कार्रवाई करते हुए राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद के साथ उपमुख्यमंत्री पद से भी हटा दिया है। सचिन पायलट पर हुई कार्रवाई का असर दिल्ली-एनसीआर में कांग्रेस पार्टी पर पड़ सकता है। फरीदाबाद (हरियाणा) और गौतमबुद्धनगर (उत्तर प्रदेश) दोनों ही जिले गुर्जर बहुल है और यहां पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गुर्जर समुदाय ही यह तय करता है कि कौन लोकसभा सांसद बनेगा और कौन-कौन विधायक चुना जाएगा। बताया जा रहा है कि सचिन पायलट के खिलाफ हुई इस कार्रवाई से दिल्ली से सटे यूपी और हरियाणा के दोनों जिलों के गुर्जर समुदाय में खासी नाराजगी है।

गौतमबुद्धनगर से विमुख हो सकते हैं कांग्रेसी

गृह जनपद होने की वजह से गौतमबुद्धनगर की राजनीति में पहले राजेश पायलट और अब सचिन का यहां सीधा दखल रहता था। इनके कहने पर ही पार्टी के जिलाध्यक्ष बनाए और हटाए जाते थे। लोकसभा व विधान सभा चुनाव में टिकट वितरण में भी अहम भूमिका होती थी। राजेश पायलट के समय में गुर्जरों के बड़े नेता और कारोबारी मिलकिंग के नाम से मशहूर चौधरी वैदराम नागर, लखीराम नागर व नोएडा के बिसनपुर गांव के चौधरी जिले सिंह उनके करीबी हुआ करते थे। नोएडा के जोगिंदर अवाना इस समय राजस्थान की नंदबई से कांग्रेस विधायक हैं, वे भी पूर्व में सचिन के नजदीकी रहे हैं, लेकिन इस समय वे अशोक गहलोत का समर्थन कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने जिस तरह सचिन पायलट को किनारे किया है, उससे गौतमबुद्धनगर ही नहीं समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी पार्टी से विमुख होंगे। खासकर कई गुर्जर नेता कांग्रेस को बाय-बाय कर सकते हैं।

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