गिरफ्तारी की आशंका से दिल्ली में एनआइए के समक्ष पेश नहीं हुए मीरवाइज!
कश्मीर मामलों के जानकारों का कहना है कि अलगाववादियों और आतंकियों के प्रति केंद्र के कड़े रुख को देखकर इसकी उम्मीद कम है कि मीरवाइज को राहत मिलेगी।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक एनआइए के नोटिस के बावजूद सोमवार को नई दिल्ली नहीं पहुंचे। हालांकि उन्होंने लिखित में अपना पक्ष भेज दिया है। उनके दिल्ली में एनआइए के समक्ष पेश न होने के कारणों में से एक यह भी हो सकता है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने अलगाववादियों और आतंकियों के प्रति कठोर रवैया दर्शाया है। ऐसे में उन्हें राहत की उम्मीद कम ही नजर आती है। वहीं, दिल्ली में पेश हेाने पर गिरफ्तारी का डर भी बना हुआ था।
मीरवाइज के लिखित में अपना पक्ष भेजने से अलगाववादी खेमे के अंदर जारी हलचल और उनके गिरते मनोबल के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसा लगता है कि प्रमुख अलगाववादी नेता मौजूदा हालात में जेल जाने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही कश्मीरी अवाम को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने कश्मीर की आजादी और जिहाद का नारा देकर अपनी तिजोरियां नहीं भरी।
उन्होंने एनआइए को भेजे पत्र में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि छापेमारी के दौरान भी उन्होंने पूरा सहयोग किया था। अगर एनआइए श्रीनगर में उनसे पूछताछ करना चाहती है तो वह सहयोग को तैयार हैं। इससे साफ है कि वह नहीं चाहते कि उनका हाल भी कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंतोश या शब्बीर शाह और नईम खान जैसा हो। यह सभी इस समय तिहाड़ जेल में ही हैं।
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनआइए की पूछताछ और कार्रवाई का तरीका पूरी तरह से अलग है। जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए तभी बुलाती है जब उसके खिलाफ कोई बड़ा सुबूत हो और उसके बाद सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद ही गिरफ्तार करती है।
मीरवाइज मौलवी उमर फारुक को भी यूं ही पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है, उनके खिलाफ कुछ साक्ष्य रहे होंगे। उन्होंने बताया कि एनआइए मीरवाइज के लिखित जवाब से संतुष्ट होती है तो ठीक, अन्यथा जांच एजेंसी उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए मुख्यालय ला सकती है।
कश्मीर मामलों के जानकारों का कहना है कि अलगाववादियों और आतंकियों के प्रति केंद्र के कड़े रुख को देखकर इसकी उम्मीद कम है कि मीरवाइज को राहत मिलेगी। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी से कश्मीर में कानून-व्यवस्था का संकट पैदा होने की आशंका है।
चुनावी माहौल के बीच केंद्र कोई भी ठोस कदम उठाने से पहले अपनी पूरी तैयारी करेगा। उन्हें बचाव का और अपना पक्ष रखने का हर मौका देना चाहेगा। चुनावी माहौल में व्यवस्था बिगड़ने का कोई मौका एजेंसियां भी नहीं देना चाहेंगी।