Maharashtra Political Crisis: मुश्किल में उद्धव सरकार, आखिर क्यों बागी हुए एकनाथ शिंदे?
2004 से अब तक लगातार चार बार विधायक चुने जा चुके एकनाथ शिंदे मुंबई के पड़ोसी जिले ठाणे के सबसे बड़े एवं शिवसेना के प्रतिबद्ध नेता माने जाते हैं। उन्हें कभी ठाणे के शिवसेना प्रमुख रहे आनंद दिघे का शिष्य माना जाता है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई: शिवसेना (Shiv Sena) नेतृत्व के खिलाफ न सिर्फ स्वयं बल्कि दो दर्जन से ज्यादा विधायकों को लेकर ताल ठोकते दिख रहे एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को अब भले ही शिवसेना विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है, लेकिन पिछले एक दशक से वह शिवसेना में एक मजबूत शख्सियत के रूप में जाने जाते रहे हैं। 2004 से अब तक लगातार चार बार विधायक चुने जा चुके एकनाथ शिंदे मुंबई के पड़ोसी जिले ठाणे के सबसे बड़े एवं शिवसेना के प्रतिबद्ध नेता माने जाते हैं। उन्हें कभी ठाणे के शिवसेना प्रमुख रहे आनंद दिघे का शिष्य माना जाता है।
- माना जाता है कि वह ठाणे में लोगों से अपने बेहतर संपर्क एवं जनसेवा के कारण ही जीतकर आते हैं। उनकी ताकत को देखते हुए ही शिवसेना ने 2014 में उन्हें नेता विरोधी दल बनाया था। तब शिवसेना ने भाजपा से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ा था।
- बाद में शिवसेना के भी फडणवीस सरकार में शामिल हो जाने के बाद शिंदे को सार्वजनिक निर्माण विभाग जैसा महत्त्वपूर्ण पद दिया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र श्रीकांत शिंदे को शिवसेना ने कल्याण से लोकसभा का टिकट भी दिया, जो फिलहाल सांसद हैं।
- 2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान शिंदे को उम्मीद थी कि ठाकरे परिवार स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की परंपरा का निर्वाह करते हुए स्वयं मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनेगा। लेकिन पहले आदित्य ठाकरे के खुद विधानसभा चुनाव लड़ जाने और फिर उद्धव ठाकरे द्वारा कांग्रेस-राकांपा जैसे धुर विरोधी विचारों वाली पार्टियों से हाथ मिलाकर खुद मुख्यमंत्री बन जाने के बाद शिंदे को शिवसेना में अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है।
- उनकी बगावत का एक और बड़ा कारण शिवसेना का हिंदुत्व के एजेंडे से भटकना भी माना जा रहा है। उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे प्रखर हिंदूवादी नेता रहे हैं। जबकि शिवसेना की आज की सहयोगी और मार्गदर्शक पार्टी राकांपा का ठाणे में रिकार्ड हिंदू विरोधी ही रहा है।
- ठाणे में शिवसेना के नेता जीतेंद्र आह्वाड गुजरात में एक एनकाउंटर में मारी गई इशरत जहां के साथ खड़े दिखते रहे हैं। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा इशरत को अपना कार्यकर्ता बता चुका है। इसलिए ठाणे में जीतेंद्र आह्वाड के कंधे से कंधा मिलाकर चलना एकनाथ शिंदे के लिए संभव नहीं हो पाना भी उनकी बगावत का एक कारण माना जा रहा है।
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बता दें कि महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी संकट शुरू हो गया है और उद्धव सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार के दिग्गज मंत्री एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में एक होटल में रुके हैं। बताया जा रहा है शिंदे के साथ 3 मंत्री और हैं। शिंदे के साथ शिवसेना के अलावा कुछ निर्दलीय विधायक भी हैं। उधर शिवसेना नेता नेता मिलिंद नार्वेकर और रवि पाठक सूरत के ली मेरिडियन होटल पहुंचे थे, जहां उन्होंने बागी नेताओं से करीब ढेढ़ घंटे तब बात की।