कानून मंत्री ने नागरिकता कानून को लेकर विरोधी राज्यों को दिखाया संविधान का आईना

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि संसद के पारित कानून लागू करना हर राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Wed, 01 Jan 2020 10:58 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jan 2020 10:58 PM (IST)
कानून मंत्री ने नागरिकता कानून को लेकर विरोधी राज्यों को दिखाया संविधान का आईना
कानून मंत्री ने नागरिकता कानून को लेकर विरोधी राज्यों को दिखाया संविधान का आईना

माला दीक्षित, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर कुछ राज्य सरकारों के विरोध और केरल विधानसभा में कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सरकारों को संविधान का आईना दिखाया है। प्रसाद ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि जो सरकारें संविधान की शपथ लेकर सरकार में आई हैं वो बिल्कुल गैर-संवैधानिक बात कर रही हैं कि 'हम सीएए को लागू नहीं करेंगे। केंद्रीय कानून लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है'।

कानून मंत्री ने दिया संविधान के अनुच्छेद 245, 246 और 256 का हवाला

सीएए को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के विरोधी रवैये पर कानून मंत्री ने कहा कि सीएए संसद का पारित किया कानून है। संविधान के अनुच्छेद 246 में कहा गया कि संसद सातवीं अनुसूची की केंद्रीय सूची यानी लिस्ट वन में दिए गए विषयों पर कानून बना सकती है। लिस्ट वन की प्रविष्टि 17 में साफ लिखा है कि नागरिकता संबंधी सारे मामलों पर संसद कानून बना सकती है। राज्यों को उनका कर्तव्य और दायित्व याद दिलाते हुए उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 256 का हवाला दिया और कहा कि इसमें कहा गया है कि राज्य की शासकीय शक्ति इस प्रकार से उपयोग में लायी जाएगी कि संसद के पारित कानून को लागू करे।

संसद का बनाया कानून पूरे देश में लागू होगा

रविशंकर प्रसाद ने संविधान के प्रावधान उद्धत करते हुए कहा कि संविधान कहता है कि संसद का बनाया कानून पूरे देश में लागू होगा और संसद सातवीं अनुसूची की केंद्रीय सूची यानी लिस्ट वन में शामिल विषय पर कानून बनाने के लिए अधिकृत है। प्रसाद ने नागरिकता पर कानून बनाने की संसद की शक्ति और अधिकार स्पष्ट करते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 245 (1) कहता है कि संसद पूरे भारत के लिए या किसी विशेष भाग के लिए कानून बना सकती है। और इस अनुच्छेद का दूसरा भाग कहता है कि किसी कानून को क्षेत्राधिकार के बाहर बताकर गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता।

रविशंकर बोले, केंद्रीय कानून लागू करना राज्यों का संवैधानिक दायित्व

उन्होंने कहा कि देश के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि संसद के पारित कानून लागू करना हर राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व है। अगर वे (राज्य सरकारें) संविधान की शपथ लेकर कुर्सी पर बैठी हैं। संविधान की शपथ का मतलब होता है संविधान के प्रावधानों का सम्मान करना और उसके अंतर्गत यह संवैधानिक मर्यादा है कि राज्य संसद के पारित कानून को लागू करें। प्रसाद ने कहा कि वह कहना चाहते हैं कि जो राज्य सरकारें इस तरह का दावा कर रही हैं या उनके प्रभाव से प्रस्ताव पारित हो रहे हैं, वे कृपा करके उचित कानूनी राय लें।

केरल के सीएम का दावा, विधानसभा के अपने अधिकार

केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के अगले दिन राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भाजपा की आलोचना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों में विधानसभाओं के भी अपने विशेषाधिकार होते हैं।

राज्यपाल अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं

विजयन से जब विशेषाधिकार हनन संबंधी कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि विधानसभाओं के पास अपने अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष अधिकार होते हैं और इनका उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान के मूलभूत अधिकारों का हनन करने वाले सीएए कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला केरल पहला राज्य बन गया है। यह पूछे जाने पर कि राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान सीएए का समर्थन कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं।

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